Wheat cultivation: गेहूं की खेती से बम्पर कमाई कर रहा है बिहार का यह किसान
Wheat cultivation: अररिया, बिहार में पहले गेहूं की खेती का मुख्य स्थान था। आजकल किसान भारी मुनाफा कमाने के लिए गेहूं की जगह मक्का की खेती करने लगे हैं। अररिया जिले के किसान मनोज कुमार झा ने मीडिया को बताया कि किसान अब गेहूं की जगह मक्का की खेती में क्यों ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं।
मक्का की खेती से अच्छी खासी आमदनी होती है, जबकि गेहूं की खेती से आधी। नतीजतन, किसान अब गेहूं की जगह मक्का की खेती में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि करीब 120 दिनों में गेहूं की खेती तैयार हो जाएगी।
वहीं मक्का की खेती में 180 दिन लगते हैं।
दो एकड़ जमीन पर गेहूं की खेती होती है। अररिया जिले के बगुलाहा पंचायत के घरबंधा टोले के किसान मनोज झा ने मीडिया को बताया कि वे अपनी दो एकड़ जमीन पर गेहूं की खेती करते हैं। उन्होंने बताया कि करीब आठ एकड़ जमीन पर वे मक्का की खेती भी करते हैं।
गेहूं (Wheat) की खेती से जमीन भी बेहतर होती है।
गेहूं की फसल कटने के तुरंत बाद खेतों में मूंग की खेती की जाती है, जिससे मिट्टी को काफी फायदा होता है। हर एकड़ गेहूं की खेती से करीब 20,000 रुपए का मुनाफा होता है। दो एकड़ में हमने गेहूं की फसल लगाई है और आठ एकड़ में मक्का की फसल उगाई है।
जब गेहूं की फसल की बात आती है, तो सिंचाई बहुत जरूरी है।
रबी की मुख्य फसल गेहूं की सिंचाई इस समय सबसे अच्छी होती है। हर फसल के लिए सिंचाई जरूरी है। सिंचाई से मिट्टी में नमी बनी रहती है। नतीजतन, पौधे की जड़ें गहरी और मजबूत होती हैं। मजबूत जड़ें पौधे को पानी और पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद करती हैं। किसान मनोज झा के अनुसार, गेहूं की फसल को दो से तीन सिंचाई के साथ-साथ रासायनिक और जैविक खाद से भी बहुत फायदा होता है।