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Beekeeping: मधुमक्खी पालन का हुनर सीखकर आज नोट छाप रहा है बिहार का यह किसान

Beekeeping: मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो किसानों को अच्छी आय देने के साथ ही पर्यावरण को भी लाभ पहुंचाता है। आजकल इस विषय के बारे में जागरूकता बढ़ने के कारण बहुत से किसान इसे अपने कृषि कार्यों में शामिल कर रहे हैं। समस्तीपुर जिले के मोहिद्दीन नगर प्रखंड के किसान संजीत कुमार इस बात के बेहतरीन उदाहरण हैं कि सही सहयोग और प्रशिक्षण (Collaboration and training) से कोई भी कंपनी किस तरह सफल हो सकती है।

Beekeeping
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प्रशिक्षण पूरा करने के बाद संजीत ने इस व्यवसाय को अपनाया और पचास बक्सों से मधुमक्खी पालन शुरू किया। धीरे-धीरे उन्होंने इसका दायरा बढ़ाया और अब वे 200 बक्से तैयार कर लाखों रुपये कमाते हैं।

कृषि विश्वविद्यालय ने दिया प्रशिक्षण

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा ने समस्तीपुर जिले के संजीत कुमार को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया, जिससे उनकी जिंदगी बदल गई। संजीत ने बताया कि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्होंने 50 बक्सों से मधुमक्खी पालन की कंपनी शुरू की। हालांकि, शुरुआत में उन्हें नुकसान भी हुआ, लेकिन संजीत का दावा है कि शुरुआती दौर में नुकसान और मुनाफा (Losses and profits) दोनों ही होता है। ज्ञान के साथ-साथ अनुभव भी बढ़ता गया। साथ ही, कमाई का सिलसिला भी बढ़ता गया।

पांच साल में मधुमक्खी पालन का दायरा बढ़ाया

संजीत ने अपनी मेहनत और विशेषज्ञता के दम पर महज पांच साल में बक्सों की संख्या 50 से बढ़ाकर 200 कर ली। उनका दावा है कि अगर मौसम ठीक रहा तो वे 4 से 5 लाख रुपये कमा सकते हैं। साथ ही, उन्होंने डाबर कंपनी जैसे बड़े डीलरों को अपना सामान बेचकर अच्छी खासी कमाई की है। अगर किसान को सही दिशा और निर्देश मिले तो वह किसी भी व्यवसाय में सफल हो सकता है। एक आकर्षक उद्यम (Lucrative venture) होने के अलावा, जो छोटे से लेकर विशाल तक विकसित हो सकता है, मधुमक्खी पालन पर्यावरण के लिए भी बहुत फायदेमंद है।

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