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Sugarcane Cultivation: उत्तर प्रदेश का यह किसान आधुनिक गन्ने की खेती कर कमा रहा है लाखों रुपए

Sugarcane Cultivation: बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश के एक दूरदर्शी और निपुण किसान राकेश सिरोही ने गन्ना उद्योग में अपना नाम बनाया है। खेती के प्रति अपने प्यार और समकालीन कृषि पद्धतियों (Contemporary Agricultural Practices) का उपयोग करने के प्रति समर्पण के कारण, सिरोही ने अपनी खेती के तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव किया है, जिससे उनकी उपज और लाभप्रदता में काफी वृद्धि हुई है। एक समृद्ध किसान होने के अलावा, उनकी आविष्कारशील तकनीक और कड़ी मेहनत के प्रति अटूट प्रतिबद्धता ने उन्हें खेती उद्योग में कई लोगों के लिए प्रेरणा बना दिया है।

Sugarcane cultivation:
Sugarcane cultivation:

देश भर में लाखों गन्ना किसान अभी भी उनकी कहानी से प्रेरित होकर नई तकनीक अपनाने, अपनी पद्धतियों को बेहतर बनाने और अपने कृषि प्रयासों में और अधिक सफल होने के लिए प्रेरित होते हैं। समकालीन पद्धति (Contemporary Methodology) की सराहना और संशोधन उन्होंने पिछले 17 वर्षों से कृषि उद्योग में काम किया है, और नवीनतम और सबसे परिष्कृत कृषि पद्धतियों का उपयोग करके, उन्होंने अपनी उपज और लाभप्रदता में उल्लेखनीय वृद्धि की है।

वे पिछले 13 वर्षों से मुख्य रूप से गन्ने की खेती पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, और परिणामस्वरूप, उन्होंने इस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। उनकी संपत्ति, जो लगभग 11 हेक्टेयर में फैली हुई है, प्रति हेक्टेयर 2000 क्विंटल गन्ना पैदा करके अन्य किसानों के लिए एक मिसाल कायम करती है। उल्लेखनीय है कि राज्य गन्ना प्रतियोगिता योजना के 2020-21 उत्पादकता पुरस्कार में राकेश सिरोही ने राज्य में दूसरा स्थान प्राप्त किया। राकेश अब गन्ना विभाग की दर निर्धारण समिति और गन्ना उत्पादन प्रतियोगिता समिति में कार्यरत हैं।

गन्ना उगाने की तकनीक

विशेष रूप से, राकेश सिरोही पतझड़ गन्ना (Sugarcane Cultivation) उगाते हैं, जिसे सितंबर के मध्य और अक्टूबर के मध्य में बोना सबसे अच्छा होता है। उन्होंने नई किस्मों और विधियों का उपयोग करके गन्ना खेती की सफलता के मानक को बढ़ाया है।

वे 13235, 18231, 16202, 17018 और 15023 (गुड़ उत्पादन के लिए उत्कृष्ट) सहित नई किस्मों के गन्ने उगाते हैं। इन नई किस्मों का मुख्य लाभ यह है कि ये रोग और कीट मुक्त हैं, जिससे उत्पादन बढ़ता है।

उपज की गुणवत्ता में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए राकेश का मानना ​​है कि गन्ने की एक किस्म को पांच से सात साल तक ही बोना चाहिए, उसके बाद ही दूसरी किस्म की फसल उगाई जानी चाहिए।

मिट्टी की गुणवत्ता और खाद का प्रबंधन

राकेश गन्ना बोने से पहले मिट्टी को कम से कम तीन बार अच्छी तरह जोतने की सलाह देते हैं। फसल को हवा और धूप की आवाजाही बढ़ने और मिट्टी के नीचे की कठोर परत टूटने (Hardened Layer Breakdown) से फ़ायदा होता है। अपने खेतों में रासायनिक खादों का इस्तेमाल करने के अलावा राकेश ट्राइकोडर्मा को गोबर की खाद में मिलाकर मिट्टी में मिलाते हैं। इससे मिट्टी उपजाऊ रहती है और पौधों को ज़रूरी पोषक तत्व मिलते हैं।

प्राकृतिक और जैविक तकनीक का इस्तेमाल

राकेश सिरोही अपनी 8 हेक्टेयर ज़मीन पर रासायनिक तरीके (Chemical Methods) से खेती करते हैं, जबकि 3 हेक्टेयर ज़मीन पर खेती करने के लिए वे प्राकृतिक तरीके अपनाते हैं। पानी को संरक्षित करने और फसल को ज़्यादा नमी से बचाने के लिए वे मिट्टी के सफ़ेद होने के बाद ही गन्ने की फ़सल में पानी डालते हैं।

ट्रेंच विधि से गन्ने की खेती

राकेश ट्रेंच तकनीक का इस्तेमाल करके गन्ने की खेती करते हैं। इस प्रक्रिया से मानक विधि की तुलना में 35-40% ज़्यादा गन्ना मिलता है। ट्रेंच तकनीक का उपयोग करके गन्ने की बुवाई करने पर 80-90% फसल अंकुरित होती है, जबकि सामान्य विधि का उपयोग करने पर 40-45% ही अंकुरित होती है।

ट्रेंच विधि के कई लाभ हैं, जिसमें दीमक और उपसतह कीटों (Termites and Subsurface Pests) का प्रकोप कम होना, जल संरक्षण और उर्वरक अपशिष्ट का उन्मूलन शामिल है। ट्रेंच विधि में प्रति एकड़ केवल 12-14 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है, जबकि सामान्य विधि में 28-30 क्विंटल की आवश्यकता होती है।

राकेश सिरोही ड्रिप सिंचाई तकनीक का उपयोग करते हैं, जो गन्ने की फसल को आवश्यक मात्रा में पानी प्रदान करते हुए पानी की बर्बादी को कम करती है।

बीज उत्पादन और मिश्रित फसल

राकेश गन्ने के अलावा सरसों, फूलगोभी, बैंगन, गेंदा, गोभी और करेला जैसी छोटी फसलें भी उगाते हैं। इसे मिश्रित फसल के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा, वह गन्ने के बीज के निर्माता भी हैं, जो वे सरकार द्वारा स्वीकृत नए गन्ने के प्रकारों को पेश करके बनाते हैं।

वे शाहजहांपुर और लखनऊ में सरकारी अनुसंधान सुविधाओं (Government Research Facilities) से मंगवाकर, सरकार द्वारा निर्धारित कीमत से कुछ ज़्यादा कीमत पर नए प्रकार के गन्ने का उत्पादन करते हैं और दूसरे किसानों को बेचते हैं। इससे उनकी आय में वृद्धि होती है।

किसान राकेश सिरोही अपनी मेहनत और उत्पादकता की बदौलत गन्ने की खेती से सालाना 30 से 35 लाख रुपये कमाते हैं। वे अपने गन्ने का 60% बीज के रूप में दूसरे किसानों को बेचते हैं, जबकि 40% चीनी मिल को जाता है। अपनी आधुनिक रणनीति, ट्रेंच सिस्टम और अच्छी गन्ना फसल उत्पादन की बदौलत वे बुलंदशहर के एक दूरदर्शी किसान बन गए हैं।

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