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Success Story: हिमाचल प्रदेश के इस युवा किसान ने एक कमरे में केसर की खेती कर किया कमाल

Success Story: हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के दूरदर्शी किसान गौरव सभरवाल ने पारंपरिक खेती को नया जीवन दिया है। मशरूम सिटी के नाम से मशहूर सोलन में मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) आम बात है, लेकिन गौरव सभरवाल ने केसर (Saffron) उगाकर एक नया मानक स्थापित किया है। उनका दावा है कि भारत में केसर की मांग तो बहुत है, लेकिन उपलब्धता की कमी के कारण इसका अधिकांश हिस्सा ईरान से आयात किया जाता है। 2022 में इस संभावना को देखते हुए उन्होंने छोटे पैमाने पर एरोपोनिक केसर उगाने की शुरुआत की।

Success story
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अब वे एरोपोनिक तकनीक का इस्तेमाल करके 300 वर्ग फीट की जगह में केसर उगाते हैं और इस उद्यम से उन्हें सालाना लाखों रुपये की कमाई होती है। अगले कुछ सालों में उन्हें उम्मीद है कि वे इस बागवानी को 1000 वर्ग फीट तक बढ़ा देंगे। इसी को ध्यान में रखते हुए आइए आज दूरदर्शी किसान गौरव सभरवाल के उल्लेखनीय कृषि करियर के बारे में और जानें:

Aeroponic Techniques की खोज

दूरदर्शी किसान गौरव सभरवाल की राह आसान नहीं रही है। शुरुआत में वे जूता उद्योग से जुड़े थे, लेकिन पिता की मौत के बाद उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। परिवार का भरण-पोषण (Maintenance) करने और आर्थिक तंगी से बाहर निकलने के लिए उन्होंने एक सफल कंपनी की तलाश शुरू की। इस दौरान उन्होंने एरोपोनिक तकनीक के बारे में अध्ययन किया और जानकारी हासिल की। ​​उन्होंने पाया कि इस तरीके का इस्तेमाल केसर जैसी महत्वपूर्ण फसलों की खेती के अलावा कम क्षेत्र में अधिक उत्पादन के लिए किया जा सकता है। उनके लिए यह खोज एक नई शुरुआत की तरह थी।

यह सर्वविदित है कि एरोपोनिक्स एक समकालीन कृषि तकनीक है, जिसमें मिट्टी की आवश्यकता के बिना पौधे उगाए जाते हैं। इस विधि में पौधों पर पोषक तत्वों से भरपूर पानी का छिड़काव किया जाता है, जबकि उनकी जड़ें हवा में लटकी रहती हैं।

केसर की खेती शुरू

2022 में दूरदर्शी किसान गौरव सभरवाल ने छोटे पैमाने पर परीक्षण के तौर पर एरोपोनिक तकनीक का इस्तेमाल करके केसर उगाना शुरू किया। यह प्रयोग रंग लाया और 2023 में उन्होंने एरोपोनिक तकनीक का इस्तेमाल करके 300 वर्ग फीट में कश्मीरी केसर उगाना शुरू किया। इसके लिए उन्होंने कश्मीर से केसर के बल्ब (बीज) खरीदे। हालांकि एरोपोनिक्स की शुरुआती लागत काफी अधिक है, लेकिन गौरव ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के तहत ऋण लेकर इसका इस्तेमाल शुरू किया।

Aeroponic Techniques के फायदे

कम क्षेत्र में अधिक उत्पादन करने की क्षमता एरोपोनिक तकनीक का मुख्य लाभ है। दूरदर्शी किसान गौरव सभरवाल के अनुसार, 300 वर्ग फुट का एरोपोनिक फार्म (Aeroponic Farm) शुरू करने में करीब 7-8 लाख रुपये का खर्च आता है। पहले साल खराब उत्पादन के बावजूद पूरी सेटअप लागत तीन से चार साल में वसूल हो जाती है। इसके बाद यह खेती काफी सफल साबित होती है।

पर्यावरण नियंत्रण और तापमान

केसर की वृद्धि के लिए तापमान और पर्यावरण नियंत्रण (temperature and environmental control) बहुत जरूरी है। दूरदर्शी किसान गौरव सभरवाल के अनुसार, एरोपोनिक तकनीक का उपयोग करके केसर की खेती के लिए कश्मीर में अगस्त से नवंबर तक के गर्मियों के महीनों के अनुरूप तापमान की आवश्यकता होती है। दूसरे शब्दों में, केसर 8 से 23 डिग्री के बीच उगाया जाता है। इसे प्राप्त करने के लिए उन्होंने अपने इनडोर फार्म में तापमान नियंत्रण स्थापित किया है।

केसर का बाजार और मांग

भारत में केसर की मांग बहुत ज़्यादा है, लेकिन आपूर्ति सीमित है। ईरान भारत के केसर का 94% सप्लाई करता है, जिससे यह बहुत महंगा हो जाता है। प्रगतिशील किसान गौरव सभरवाल के अनुसार, थोक में केसर लगभग 2.5 लाख रुपये प्रति किलोग्राम बिकता है, लेकिन वह खुदरा में इसे लगभग 5 लाख रुपये प्रति किलोग्राम बेचता है। उसके लिए यह एक बहुत ही लाभदायक उद्यम साबित हुआ है।

भविष्य की रणनीति

एक दूरदर्शी किसान गौरव सभरवाल 1000 वर्ग फीट के क्षेत्र में केसर उगाने का इरादा रखते हैं। उन्हें उम्मीद है कि ज़्यादा से ज़्यादा किसान केसर उगाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल करेंगे और अपनी आय बढ़ाएँगे। उनके अनुसार, एक बार जब किसान केसर तैयार करना सीख जाएँगे, तो वे पाँच से छह साल में दूसरे किसानों को केसर बेचकर अतिरिक्त पैसे कमा सकते हैं।

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