Success Story: राजस्थान के इस किसान ने जैविक खेती के ज़रिए कमाए लाखों रुपए
Success Story: राजस्थान के एक दूरदर्शी बागवानी विशेषज्ञ मनोज खंडेलवाल इस बात का एक बेहतरीन उदाहरण हैं कि कैसे इच्छाशक्ति और रचनात्मक समस्या-समाधान से आकांक्षाओं को साकार किया जा सकता है। मनोज पहले कोटा के रियल एस्टेट और शेयर बाजारों (Real estate and the stock market) में तल्लीन थे, लेकिन खेती के प्रति उनका हमेशा से ही एक मजबूत और स्थायी लगाव रहा है, जो उनके पिता की कृषि विरासत से प्रेरित था। उन्होंने एक लड़के के रूप में अपने पिता के साथ अपने छोटे से पारिवारिक खेत पर कई घंटे काम किया, जिससे कृषि को आय का एक आकर्षक और टिकाऊ स्रोत (Sustainable Sources) बनाने की उनकी महत्वाकांक्षा को बढ़ावा मिला। कॉर्पोरेट दुनिया से आज समृद्ध खेती में उनका बदलाव उनकी दूरदर्शिता, दृढ़ता और अपने जुनून के प्रति निरंतर समर्पण का सबूत है।
रियल एस्टेट से कृषि में बदलाव
2009-10 में उनके परिवार के पास केवल एक गज खेत था, और उस समय उनके पास ज़्यादा ज़मीन नहीं थी। हालाँकि, कुछ बड़ा बनाने की उनकी इच्छा ने उन्हें छह बीघा किराए की ज़मीन पर खेती शुरू करने के लिए प्रेरित किया। अपनी नौकरी छोड़ने के बाद, उन्होंने 2010 में सब्ज़ियाँ उगाना शुरू किया और कृषि आय (Agricultural Income) का पहला स्वाद चखा। इस उपलब्धि ने मनोज को खेती के बारे में और अधिक जानने के लिए प्रोत्साहित किया, और अपने क्षेत्र के लिए उपयुक्त जलवायु-अनुकूल फसलों पर ध्यान केंद्रित किया।
मनोज ने धीरे-धीरे जैविक खेती पर अपना जोर बदला और अपने तरीकों में समकालीन तरीकों को शामिल किया। वह वर्तमान में 70 बीघा जमीन पर 10,000 अमरूद के पेड़, साथ ही गेहूं, सरसों, सोयाबीन, सब्जियां और औषधीय पौधे (Wheat, Mustard, Soybean, Vegetables and Medicinal Plants) उगाते हैं। उनके अमरूद बेहतरीन गुणवत्ता और आकार के हैं, जिनका वजन औसतन 600 से 750 ग्राम है। दिल्ली, जयपुर और कोटा जैसे प्रमुख शहरों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इन अमरूदों की बहुत मांग है और ये 70 रुपये से 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक के प्रीमियम मूल्यों पर उपलब्ध हैं।
मनोज ने अपनी सफलता का श्रेय कम लागत पर उच्च गुणवत्ता वाली फसलें पैदा करने के लिए टिकाऊ कृषि पद्धतियों और प्रौद्योगिकी का उपयोग करने को दिया। अपनी आय बढ़ाने के अलावा, जैविक तकनीकों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें राज्य और संघीय स्तर पर प्रशंसा दिलाई है। आधुनिक खेती में उनके योगदान के लिए, उन्हें एसबीआई और एमएफओआई जैसी संस्थाओं से प्रशंसा मिली है।
खेती के प्रति व्यापक दृष्टिकोण
मनोज के अनुसार, निरंतर खेती का रहस्य विविधता है। उनका सुझाव है कि अन्य किसान तीन-आयामी रणनीति का उपयोग करें:
बुनियादी खेती: स्थिर आय के लिए, सोयाबीन, गेहूं और सरसों जैसी नकदी और मुख्य फसलों पर ध्यान केंद्रित करें।
बागवानी: आय का एक विश्वसनीय स्रोत स्थापित करने के लिए, अमरूद जैसी दीर्घकालिक फसलों में निवेश करें।
सब्जी की खेती: लगातार दैनिक आय के लिए सब्जियाँ उगाएँ।
मनोज ने इन तीन कृषि पद्धतियों के बीच संतुलन बनाकर एक स्थिर और सफल कृषि उद्यम बनाए रखा है। उन्होंने मोनोक्रॉपिंग के खतरों पर जोर दिया और किसानों से अपनी फसलों में विविधता लाने और लगातार उच्च-स्तरीय वस्तुओं (high-level objects) के लिए प्रयास करने का आग्रह किया।
अन्य किसानों के लिए सुझाव
मनोज की यात्रा आजीवन सीखने और रचनात्मकता के प्रति एक मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाती है। वह किसानों को नवाचार और नई तकनीकों के प्रति ग्रहणशील होने और बाजार की बदलती जरूरतों के साथ तालमेल बिठाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। पारंपरिक खेती के ज्ञान को समकालीन तरीकों के साथ जोड़ने की उनकी रणनीति के परिणामस्वरूप एक स्थायी मॉडल बनता है जो पर्यावरण संरक्षण और वित्तीय लाभ के बीच संतुलन बनाता है।
जैसे-जैसे उनका व्यवसाय बढ़ता जा रहा है, मनोज अब हर बीघा पर 50,000 रुपये कमा रहे हैं। स्थानीय बाजार और भारत और विदेशों में उच्च-स्तरीय ग्राहक अब उनके खेत से उच्च गुणवत्ता वाले जैविक उत्पाद (Organic Products) खरीद सकते हैं। मनोज की कहानी देश भर के किसानों के लिए सबक है। यह साबित करता है कि दूरदृष्टि, दृढ़ता और रचनात्मकता वाले लोगों के लिए खेती एक संतुष्टिदायक और समृद्ध उद्यम हो सकता है।