Mustard harvest: सरसों की फसल से 72 वर्षीय किसान की बदली किस्मत, जानें कहानी
Mustard harvest: दिल्ली में रहने के बावजूद बल्लभगढ़ के मलेरना गांव के किसान जगदीश सिंह ने अपना जीवन खेती को समर्पित कर दिया है। 13 एकड़ में वे सरसों उगाते हैं। अपनी मेहनत और विशेषज्ञता के दम पर उन्होंने खेती को अपना काम और परंपरा बना लिया है।
सरसों की खेती (Mustard harvest) की प्रक्रिया
जगदीश सिंह ने सरसों उगाने की पूरी प्रक्रिया बताई। सबसे पहले जमीन को आठ से दस बार जोतना पड़ता है। फिर सरसों के बीज बोए जाते हैं। एक एकड़ जमीन में करीब 1 से 1.25 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। इसके अलावा एक बैग डीएपी और एक बैग पोटाश डालना पड़ता है। फसल को एक या दो बार पानी देना पड़ता है। तीन महीने में सरसों की फसल तैयार हो जाएगी।
सरसों के बाद फसल
मार्च तक सरसों की फसल तैयार हो जाती है। इसके बाद किसान मूंग जैसी फसल उगाते हैं। फसल तैयार होने के बाद बल्लभगढ़ मंडी में फसल बेची जाती है।
फायदे और मुश्किलें
जगदीश सिंह के मुताबिक सरसों उगाने में काफी मेहनत लगती है, लेकिन पैदावार बहुत ज्यादा नहीं होती। खराब मौसम का असर उत्पादन पर पड़ सकता है। हालांकि सरसों की फसलें कीटों से संक्रमित नहीं होती हैं, लेकिन खराब मौसम के दौरान वे चम्पा बग के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं।
खेत पर अनुभव
14 साल की उम्र में, जगदीश सिंह ने खेती करना शुरू कर दिया। हाई स्कूल के बाद वे पूरी तरह से खेती में डूब गए। वे अभी भी खेती करते हैं और 72 साल की उम्र में इसे अपना प्राथमिक व्यवसाय मानते हैं।
जगदीश सिंह जैसे किसान खेती को अपनी पहचान और संस्कृति के साथ-साथ आय के स्रोत के रूप में भी अपनाते हैं। उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू, सरसों की खेती उनके अनुभव और कड़ी मेहनत को दर्शाती है।