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Flower cultivation: गन्ने की खेती के बजाय यहां के किसान ने की फूलों की खेती, हो गया मालामाल

Flower cultivation: गन्ने की खेती के लिए मशहूर रटौल कस्बे में अब फूलों की खुशबू बागपत जिले की खेकड़ा तहसील में भी फैल रही है। गन्ने की जगह फूल उगाकर यहां के किसान न सिर्फ अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं, बल्कि समुदाय को नई पहचान भी दे रहे हैं। रटौल के मूल निवासी नूर मोहम्मद ने बताया कि उन्होंने करीब 25 साल पहले हरियाणा से तीन किस्म के तिरंगे के बीज- लाल, पीले और बसंत के फूल- मंगवाए थे। इसके बाद उन्होंने फूल उगाना शुरू किया, जो तब से लगातार कर रहे हैं। नूर मोहम्मद का दावा है कि फूल उगाने से उन्हें गन्ने की खेती से ज्यादा कमाई होती है।

Flower cultivation
Flower cultivation

फूलों की खेती (Flower cultivation) ने किसानों को मालामाल कर दिया है।

स्थानीय निवासी शहजाद चौधरी के मुताबिक, अगर बाजार में फूलों के दाम अनुकूल हों तो एक बीघा जमीन से 50,000-60,000 रुपये तक का मुनाफा हो सकता है। साथ ही उन्होंने बताया कि फूलों की खेती से तो तुरंत नकद भुगतान मिल जाता है, लेकिन गन्ने की खेती (Sugarcane cultivation) से भुगतान मिलने में एक साल लग जाता है। इसी वजह से अब बहुत से किसान गन्ने की जगह फूल उगा रहे हैं। किसान नूर मोहम्मद आठ लोगों को रोजगार देते हैं और फूलों की बागवानी से सालाना हजारों रुपये कमाते हैं।

गन्ना बेल्ट की खेती के तौर-तरीके विकसित हो चुके हैं।

अब बागपत के गन्ना उत्पादक क्षेत्र ने फूलों की खुशबू और रंग को अपना लिया है। किसान इसे बेहतर विकल्प मानते हैं। बागपत के किसानों के लिए फूल उगाना नई उम्मीद बन गया है, क्योंकि इससे कम समय में ज्यादा मुनाफा होता है।

अपनी मेहनत और दूरदर्शिता से रटौल के किसान यह साबित कर रहे हैं कि परंपरागत खेती के विकल्प अपनाने से भविष्य उज्जवल हो सकता है। फूलों की बागवानी के इस उदाहरण से रटौल के साथ-साथ आसपास के गांवों के किसान भी प्रेरित हो रहे हैं।

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