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Hybrid Radish-Cross X35: सिर्फ एक एकड़ जमीन से करोड़पति बन गई यह महिला किसान

Hybrid Radish-Cross X35: उत्तर प्रदेश के हापुड़ क्षेत्र की दूरदर्शी किसान नूतन ने अपनी मेहनत, लगन और आधुनिक तरीकों के उचित इस्तेमाल से कृषि उद्योग में अपनी अलग पहचान बनाई है। नूतन ने पारंपरिक खेती से हटकर आधुनिक खेती (Modern Farming) की ओर कदम बढ़ाया। आज वह सिर्फ एक एकड़ जमीन पर Hybrid Cross X35 नामक उन्नत मूली उगाती हैं, जिससे उन्हें हर साल 12-15 लाख रुपये का मुनाफा होता है। आइए उनकी सफलता की कहानी पर एक नजर डालते हैं।

Hybrid radish- cross x 35
Hybrid radish- cross x 35

खेती का सफर

पिछले बारह सालों से नूतन निगम खेती से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने सबसे पहले गेहूं, गाजर और मूली (Wheat, Carrot and Radish) जैसी सामान्य फसलें उगाईं। शुरुआत में उन्हें अपनी उपज और कमाई को लेकर कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ा। मिट्टी की खराब गुणवत्ता, फसलों पर कीटों का हमला और बाजार में उचित कीमत न मिलने जैसी समस्याओं के कारण उनका काम चुनौतीपूर्ण था।

लेकिन नूतन दृढ़ निश्चयी रहीं। कृषि विशेषज्ञों और नवीन तकनीक की मदद से उन्होंने खेती को आगे बढ़ाया। उन्होंने बेहतर बीज और जैविक खाद का इस्तेमाल करके अपनी फसलों की पैदावार और गुणवत्ता में बढ़ोतरी की। वे पिछले तीन वर्षों से खास तौर पर मूली की खेती कर रहे हैं और उन्होंने सोमानी सीड्स की उन्नत हाइब्रिड क्रॉस एक्स-35 किस्म का चयन किया।

हाइब्रिड मूली क्रॉस एक्स 35

नूतन का दावा है कि सोमानी सीड्स कंपनी (Somani Seeds Company) की हाइब्रिड क्रॉस एक्स-35 एक उन्नत मूली किस्म है, जो अपनी त्वरित वृद्धि और उत्कृष्ट उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। इस किस्म की निम्नलिखित विशेषताएं हैं:

  1. प्रत्येक मूली का वजन 300 से 400 ग्राम के बीच होता है और इसकी लंबाई 18 से 22 सेंटीमीटर होती है। फसल अवधि: किसान इस किस्म की एक साल में कई बार कटाई कर सकते हैं क्योंकि यह लगभग 30 से 35 दिनों में पक जाती है।
  2. बुवाई की अवधि: मार्च से मध्य नवंबर तक आप बुवाई कर सकते हैं (दक्षिण भारत को छोड़कर)। दक्षिण भारत में, इस किस्म को साल के किसी भी समय लगाया जा सकता है।
  3. पत्तियों की गुणवत्ता: मूली पकने के बाद भी पत्तियाँ हरी और बिना छेद वाली रहती हैं।
  4. स्वाद: ग्राहकों को मूली ज़्यादा पसंद आती है क्योंकि इसका खट्टा-मीठा स्वाद अलग होता है।

मूली के उत्पादन में तकनीकी उन्नति

मूली उगाने से पहले नूतन अपने खेतों को पोटाश और गोबर (Potash and Cow Dung) की खाद से तैयार करती हैं। इससे मिट्टी की उर्वरता तो बढ़ती ही है, साथ ही खेतों से दीमक और दूसरे कीट भी खत्म हो जाते हैं, जिससे उत्पादन बढ़ता है।

सफलता का गणित

नूतन साल में तीन बार मूली उगाती हैं। एक एकड़ जमीन से सालाना 25-30 टन मूली पैदा हो सकती है। उनकी मूली आम तौर पर 30 से 60 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच बिकती है। एक समय पर, मजदूरी, बीज और सिंचाई की संयुक्त लागत 25-30,000 रुपये तक पहुंच सकती है। हालांकि, एक फसल से 4-5 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। इस प्रकार, नूतन साल में तीन बार फसल काटकर केवल एक एकड़ जमीन से 12-15 लाख रुपये कमा सकती हैं।

चुनौतियाँ और समाधान

नूतन के सामने मुश्किलों भरा रास्ता था। उन्हें शुरुआती दौर में पारंपरिक खेती से होने वाले नुकसान को सहना पड़ा। बाजार में उत्पाद को उचित मूल्य नहीं मिला, उत्पादन कम था और लागत अत्यधिक थी। लेकिन वह इन सभी मुद्दों को हल करने में सक्षम थी। इसके अलावा, वह अपनी मूली को सर्वोत्तम मूल्य पर बेचने के लिए बड़े बाजारों और छोटे विक्रेताओं तक पहुँची।

संस्कृति और प्रेरणा पर प्रभाव

अपने परिवार के अलावा, नूतन आस-पास की महिला किसानों के लिए भी प्रोत्साहन का स्रोत हैं। उनकी सफलता अन्य किसानों को भी परिष्कृत मूली की खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। नूतन के अनुसार, यदि नए नवाचारों और प्रौद्योगिकी (Innovations and Technology) का उचित उपयोग किया जाए तो खेती किसानों के लिए एक आकर्षक उद्यम और वित्तीय सशक्तिकरण का स्रोत बन सकती है।

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