Drone Farming: इस किसान ने ड्रोन की मदद से बदली अपनी किस्मत, रोजाना कमा रहा 15 हजार रुपये
Drone Farming: धान की फसल पर कीटों के बढ़ते हमलों के कारण किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए कीटनाशकों (Pesticides) का छिड़काव जरूरी हो गया है। हालांकि, छिड़काव की पारंपरिक तकनीकें श्रमसाध्य और समय लेने वाली हैं। ऐसी परिस्थितियों में किसानों की सहायता के लिए प्रौद्योगिकी ने एक नया तरीका अपनाया है।

युवा किसान उदय की नई परियोजना
निजामाबाद क्षेत्र के सिरिकोंडा मंडल (Sirikonda Mandal) के युवा किसान उदय ने इस समस्या को हल करने के लिए एक नया तरीका निकाला है। उन्होंने एक ड्रोन पर छह लाख रुपये खर्च किए, जिसका इस्तेमाल अब वे आसानी से कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिए करते हैं। उनकी रोजाना की कमाई 12 से 15 हजार रुपये के बीच है और वे इस ड्रोन का इस्तेमाल 25 से 30 एकड़ खेत में छिड़काव करने के लिए करते हैं।
जल्दी और सटीक तरीके से छिड़काव करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल
उदय के अनुसार, ड्रोन का इस्तेमाल करके एक एकड़ जमीन पर खरपतवारनाशकों (Herbicide) का छिड़काव करने में सिर्फ पांच मिनट लगते हैं। पारंपरिक तरीके से यह तकनीक तेज होने के साथ-साथ कम पानी का इस्तेमाल करती है। ड्रोन का इस्तेमाल करके एक एकड़ खेत में छिड़काव करने में दस लीटर पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
ड्रोन में आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स
उदय द्वारा खरीदा गया ड्रोन मिशन एक मोबाइल डिवाइस से जुड़ा हुआ है, जिससे GPRS यह पता लगा सकता है कि कहां छिड़काव पूरा हुआ और कहां नहीं। किसानों को अधिक लाभ होता है और छिड़काव की सटीकता बनी रहती है।
सुरक्षित तरीके से काम करना जरूरी
उदय के अनुसार, ड्रोन चलाते समय सावधानी बरतना बहुत जरूरी है। पेड़ों, बिजली के तारों और हाई-टेंशन लाइनों का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि अगर कोई गलती हुई तो ड्रोन नष्ट हो सकता है, जिससे किसानों को काफी नुकसान हो सकता है। किसान एक ही ड्रोन बैटरी का इस्तेमाल करके तीन से चार एकड़ जमीन पर छिड़काव करके समय और मेहनत बचा सकते हैं।
ड्रोन दूसरे खेतों की भी कर रहे हैं मदद
दरपल्ली मंडल के दुब्बाका गांव के किसान लक्ष्मण इस बात से सहमत हैं कि ड्रोन तकनीक (drone technology) उपयोगी है। उन्होंने कहा कि उन्होंने नौ एकड़ में चावल उगाया था, लेकिन कीटों की बढ़ती संख्या के कारण कीटनाशकों का छिड़काव करना मुश्किल हो रहा था। पारंपरिक छिड़काव में श्रमिकों और पानी का इस्तेमाल होता था, जिससे खर्च और श्रम लागत बढ़ जाती थी।
ड्रोन किसानों को समय और मेहनत बचाने में करते हैं मदद
लक्ष्मण के अनुसार, ड्रोन की मदद से पूरे नौ एकड़ खेत में एक घंटे में छिड़काव किया गया। अगर मजदूरों से छिड़काव करवाया जाता तो इस काम में पूरा दिन लग जाता। कीटनाशक उपलब्ध (Pesticides Available) करवाए जाने के बाद ड्रोन ऑपरेटर 500 रुपए प्रति एकड़ की लागत से छिड़काव करता है। इससे किसानों की मेहनत बचती है और काम भी जल्दी पूरा होता है।