Cabbage farming: गोभी की खेती से मिर्जापुर के इस किसान की बदली किस्मत, कम लागत में कमा रहे हैं लाखों का मुनाफा
Cabbage farming: बदलते दौर में किसान परंपरागत खेती की जगह उन्नतशील खेती भी कर रहे हैं। इससे उन्हें समय की बचत के साथ ही अच्छी खासी आमदनी भी हो रही है। आसान लेन-देन होने के साथ ही तुरंत पैसा भी मिल जाता है। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के बेलखरा टोले के किसान बाजरा और चावल की जगह गोभी उगा रहे हैं। किसान साल में दो बार गोभी उगाते हैं और यह आसानी से बिक जाती है।
एक बार में दो लाख रुपये में बिक जाती है
कम खर्च और मेहनत से किसान हजारों रुपये मुनाफा कमा रहे हैं। बेलखरा के किसान गोविंद मौर्य ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने करीब तीन बीघे में सिंजेंटा किस्म की गोभी लगाई है। एक बीघे में खेती में मजदूरी और उपचार समेत करीब पचास हजार रुपये खर्च होते हैं। एक बार में यह करीब दो लाख रुपये में बिक जाती है। बहरहाल, फसल का भाव बाजार तय करता है। अहरौरा मंडी, चंदौली और वाराणसी में भी इसे बेचना आसान है।
बाजरा और चावल की खेती से नहीं हुआ कोई मुनाफा
यह प्रक्रिया साल में दो बार दोहराई जाती है। किसान गोविंद ने बताया कि इससे पहले उन्होंने बाजरा और चावल की खेती की थी। उससे कोई मुनाफा नहीं हुआ। मैं पंद्रह साल से गोभी उगा रहा हूं। हर साल गोभी की दो फसलें होती हैं। अगस्त और नवंबर दो बार होती हैं। इस तरह की खेती में पानी कम लगता है, इसलिए किसानों को सिंचाई की चिंता नहीं रहती।
किसानों के लिए Cabbage farming फायदे की है।
इस बीच, किसान पप्पू मौर्य ने बताया कि उन्होंने करीब एक बीघा में गोभी उगाई है। इस खेती के लिए इस्तेमाल की जाने वाली जमीन ऊंची होती है। ताकि खेतों में पानी कम समय तक रहे। बीमारी से बचाव के लिए बीज बोने के बाद कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है। इस खेती से किसानों को फायदा होता है।