Cabbage cultivation: इस तरीके से बंद गोभी की खेती कर मालामाल हुए रवि सैनी
Cabbage cultivation: आजकल सहारनपुर के किसानों में जैविक खेती काफी लोकप्रिय है। जैविक खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है। बाजार में भी उन्हें अच्छी कीमत मिल रही है। इसी तरह सहारनपुर के गंगोह विधानसभा के खंडलाना गांव में रहने वाले रवि सैनी ने जैविक तरीके से गोभी की खेती शुरू की है।
पिछले चार-पांच साल से वह लगातार गोभी की खेती कर रहे हैं।
वह जैविक गोभी उगाते हैं, जिससे उनकी कमाई दोगुनी हो जाती है। जैविक गोभी की खेती में खाद के तौर पर देसी गाय के गोबर (Desi Cow Dung) का इस्तेमाल किया जाता है और गोमूत्र से बना जीव अमृत स्प्रे किया जाता है। इससे फसल पर कीड़े नहीं लगते और न ही कोई दुष्प्रभाव पड़ता है। जैविक सब्जियों की मांग काफी है। गोभी करीब एक लाख रुपये प्रति बीघा बिक जाती है और ग्राहक पूरी गोभी ही खरीद लेते हैं, बजाय इसके कि उसे खेत से काटकर बाजार ले जाया जाए। रवि सैनी हर साल चार-पांच बीघा गोभी की फसल तैयार होने में चार-पांच महीने का समय लगाते हैं।
पांच साल से जैविक तरीके से उगा रहे हैं गोभी (Cabbage)
पिछले दस-बारह सालों से किसान रवि सैनी लगातार खेती कर रहे हैं, उन्होंने पत्रकारों को बताया। उन्होंने दूसरे किसानों को जैविक फसल उगाते देखा। फिर उन्होंने अपनी जमीन पर जैविक तरीके से गोभी उगाना शुरू किया। वे पिछले चार-पांच सालों से जैविक गोभी उगा रहे हैं। इससे उन्हें अच्छी खासी कमाई हो रही है। उनके खेत में करीब पांच बीघा में पूरी तरह जैविक गोभी लगी हुई है।
जैविक गोभी की कीमत दोगुनी है।
जीव अमृत को गोमूत्र से बनाकर छिड़का जाता है और खाद के तौर पर सिर्फ गोबर का इस्तेमाल किया जाता है। मांग के लिहाज से जैविक गोभी गैर-जैविक गोभी से दोगुनी महंगी है। ग्राहक खड़ी फसल से ही गोभी खरीद लेते हैं, इसलिए उन्हें उसे काटकर बाजार तक पहुंचाने की जरूरत नहीं पड़ती। गोभी को 80 से एक लाख रुपये प्रति बीघा तक आसानी से बेचा जा सकता है। चार-पांच महीने की खेती के बाद किसान करोड़पति बन जाता है। रासायनिक कीटनाशकों (Chemical Pesticides) के इस्तेमाल से बचने के साथ ही इस तरह की जैविक खेती करने वाले हर व्यक्ति को अच्छा खासा मुनाफा होगा।