Banana cultivation : केले की Organic खेती और बागवानी करके मालामाल हुए किसान आनंद, होता है बम्पर मुनाफा
Banana cultivation : बाराबंकी जिले के किसानों ने अब जैविक तरीके से फल और सब्जियां उगाना शुरू कर दिया है। क्योंकि आजकल किसान फसल की तैयारी में रासायनिक खाद (Chemical Fertilizers) का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही यह फसल आपके स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी नहीं होती। वहीं, जिले का एक किसान जैविक केले की खेती और बागवानी (Farming and Gardening) करके मालामाल हो रहा है। वह ऐसी फसल नहीं तैयार करता जिससे लोगों की सेहत को खतरा हो।
बाजार में जैविक चीजों की काफी मांग है। क्योंकि जैविक तरीके से उगाए गए फल और सब्जियां काफी पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। नतीजतन, किसानों को काफी फायदा होता है और यह ऊंचे दामों पर बिकती हैं। बाराबंकी (Barabanki) जिले के पल्हरी गांव के युवा किसान आनंद मौर्य जैविक केले की खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं। हर साल उन्हें 4 से 5 लाख रुपये का मुनाफा होता है। केले की खेती करने वाले किसान आनंद मौर्य ने बताया कि वह करीब सात-आठ साल से केले की खेती कर रहे हैं।
यहां उन्हें नवोन्मेषी किसान रामशरण वर्मा जी से आइडिया मिला। इसके बाद उन्होंने केले की खेती शुरू की। अब वह करीब डेढ़ एकड़ में जैविक तरीके से केले की खेती कर रहे हैं। इस पर प्रति बीघा करीब पंद्रह से सोलह हजार रुपये का खर्च आता है। वहीं, इस दौरान मुनाफा करीब चार से पांच लाख रुपये होता है। अन्य केलों की तुलना में जैविक तरीके से उगाए गए केले ज्यादा मीठे और स्वादिष्ट होते हैं। इसके चलते उन्हें अच्छी कीमत भी मिलती है। जैविक तरीके से केले उगाना किसानों के लिए मुनाफे का सौदा (a profitable deal) है।
बिना किसी स्पष्ट कारण के, जैविक फल और अनाज सस्ते नहीं हैं। पारंपरिक खेती की तुलना में जैविक खेती में अधिक महंगे उर्वरक और कीटनाशकों की आवश्यकता होती है। इनके उपयोग के कारण, इस कारण से खेती अधिक महंगी भी हो जाती है। रासायनिक खेती की तुलना में जैविक खेती में उत्पादन भी कुछ कम होता है। क्योंकि इस तरह से फलों और सब्जियों को बड़ा करने में कोई कृत्रिम साधन शामिल नहीं होता है। ऐसे में किसान मुनाफा कमाने के लिए इसे थोड़ा महंगा बेचते हैं और फिर बाजार में यह और भी महंगा हो जाता है। यही कारण है कि जैविक वस्तुएं अक्सर नियमित वस्तुओं की तुलना में अधिक महंगी होती हैं।