Swachh Bharat Abhiyan: इस योजना ने 500,000 से ज्यादा गांवों को घोषित किया खुले में शौच से मुक्त
Swachh Bharat Abhiyan: आज, लगभग 50% भारतीय परिवार टॉयलेट क्लीनर का उपयोग करते हैं। दस साल पहले यह संख्या काफी कम थी। 2014 में सिर्फ़ 19% परिवार टॉयलेट क्लीनर का उपयोग करते थे। इसके विपरीत, 2024 में यह प्रतिशत बढ़कर 53% हो गया। अब 12.8 करोड़ से ज़्यादा नए परिवार टॉयलेट क्लीनर का उपयोग कर रहे हैं।
स्वच्छ भारत अभियान इसका मुख्य कारण है। इसके अलावा, डाबर, हिंदुस्तान यूनिलीवर और रेकिट बेंकिज़र सभी ने स्वच्छता संबंधी उत्पादों का विज्ञापन किया। इससे इसकी संख्या में वृद्धि हुई है। डाबर के मार्केटिंग प्रमुख वैभव राठी के अनुसार, स्वच्छ भारत अभियान ने ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों के विकास के कारण स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाई।
बाजार का विस्तार
भारत में सरफेस क्लीनिंग का बाजार करीब ₹4,200 करोड़ का है। इसमें टॉयलेट क्लीनर का हिस्सा ₹2,000 करोड़ है। दस साल पहले शहरों में टॉयलेट क्लीनर ज़्यादा प्रचलित थे। इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस वस्तु की मांग में उछाल देखा जा रहा है। पहले 82% शहरी परिवार शौचालय क्लीनर का इस्तेमाल करते थे। अब यह प्रतिशत घटकर 48% रह गया है। इसके विपरीत, 52% ग्रामीण समुदाय इसका इस्तेमाल करते हैं।
स्वच्छ भारत अभियान (Swachh Bharat Abhiyan) का कमाल
स्वच्छ भारत अभियान के तहत 500,000 से ज़्यादा गांवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता 39% से बढ़कर 100% हो गई है। इसके अलावा, व्यवसाय भी इस अभियान से जुड़ रहे हैं। 2016 में, हिंदुस्तान यूनिलीवर ने सामुदायिक शौचालय ब्लॉक सुविधाएँ स्थापित कीं। अब इनकी संख्या सोलह हो गई है।