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New subsidy scheme: महाराष्ट्र सरकार ने गौशालाओं के लिए शुरू की एक नई सब्सिडी योजना

New subsidy scheme: गौशालाओं में रखी गई गायों के रखरखाव के लिए अब नई सब्सिडी योजना (New subsidy scheme) लागू की जाएगी। इस योजना के तहत प्रत्येक गाय को प्रतिदिन 50 रुपए की सब्सिडी मिलेगी। यह योजना महाराष्ट्र गौसेवा आयोग में दाखिल सरकारी निर्देश के अनुसार चलाई जाएगी। गौमाता की देखभाल और गौशालाओं की आर्थिक स्थिति को मजबूत करना इस योजना का लक्ष्य है। गायों की देखभाल और पालन-पोषण करने वाली संस्थाओं को इस योजना का लाभ मिलेगा। पात्र गोसदन पांजरापोल, गौ रक्षा संगठन और गौशालाओं को 5 जनवरी 2025 तक इस योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। जिला पशुपालन उपायुक्त डॉ. विशाल येवले ने इस संबंध में जानकारी दी।

New subsidy scheme
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पात्रता और ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया

महाराष्ट्र गौसेवा आयोग की वेबसाइट www.mahagosevaayog.org और https://schemes.mahagosevaayog.org पर इस योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जिसमें इसका उद्देश्य, प्रारूप, अनुदान पात्रता की शर्तें, क्रियान्वयन, ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया और इसके साथ शामिल किए जाने वाले सहायक दस्तावेज शामिल हैं। इच्छुक और योग्य विश्वविद्यालय 5 जनवरी, 2025 तक इन वेबसाइटों पर दिए गए फॉर्म का उपयोग करके ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस कार्यक्रम के तहत लाभ केवल गौशालाओं और संगठनों को दिया जाएगा जो गौसेवा आयोग द्वारा स्थापित मानकों को पूरा करते हैं।

बोली के लिए विशिष्ट दिशा-निर्देश

पशुपालन विभाग के उपायुक्त डॉ. विशाल येवले ने कहा कि ईमेल या किसी अन्य तरीके से भेजे गए आवेदन, साथ ही महाराष्ट्र गौसेवा आयोग कार्यालय को सीधे भेजे गए सुझाव स्वीकार नहीं किए जाएंगे। केवल ऑनलाइन प्रस्तुत किए गए आवेदन ही स्वीकार किए जाएंगे। किसी भी त्रुटि या कमी को रोकने के लिए, उन्होंने संस्थानों को आवेदन करने से पहले सभी दिशा-निर्देशों को पूरी तरह से समझने की सलाह दी और कहा कि आवेदन को सही ढंग से भरना आवश्यक होगा।

भविष्य की योजनाएँ और अपेक्षाएँ

महाराष्ट्र सरकार की यह कार्रवाई गौमाता की देखभाल को आगे बढ़ाने और गौशालाओं की कार्य स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। गौशालाओं को वित्तीय सहायता देने के अलावा, इस कार्यक्रम के तहत उन्हें मिलने वाली सब्सिडी से गायों की बेहतर देखभाल और स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित होगा। भविष्य में इस तरह के और भी कार्यक्रम हो सकते हैं, जो संरक्षण और पशुपालन से जुड़ी अन्य राज्य संस्थाओं की मदद कर सकते हैं।

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