AGRICULTURE

Sugarcane farming: इस विधि से करें गन्ने की खेती, होगा बम्पर उत्पादन

Sugarcane farming: समस्तीपुर और बिहार के पड़ोसी जिलों में किसान गन्ना की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं। नकदी फसल के रूप में गन्ना एक मीठी फसल है, जिससे किसानों को अच्छी खासी आमदनी होती है। समस्तीपुर क्षेत्र के किसानों को चीनी मिल की वजह से अच्छी खासी आमदनी होती है। हालांकि, गन्ना उगाने के लिए सही किस्म का चुनाव भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ऐसे में किसान कैसे अपना मुनाफा बढ़ा सकते हैं, यह सवाल अब सामने आ रहा है। इस सवाल का जवाब जानने के लिए मीडिया टीम ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. बलवंत कुमार से बात की। उन्होंने राजेंद्र गन्ना 5 के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

Sugarcane farming
Sugarcane farming

राजेंद्र गन्ना (Sugarcane) 5 किसानों को अधिक उपज देगा।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. बलवंत कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राजेंद्र गन्ना 5 किस्म समस्तीपुर के पर्यावरण के लिए आदर्श है। साथ ही, सीबीआर (Central Biotechnology Research) ने इसे 2023 में मंजूरी दी है। वैज्ञानिक के अनुसार, इस गन्ने की खासियतों में इसकी बेहतरीन मिठास और उत्पादन क्षमता शामिल है।

इस किस्म की खेती करने वाले किसानों को अधिक लाभ मिल सकता है। राजेंद्र गन्ना 5 में चीनी उत्पादन की अधिकतम क्षमता है, क्योंकि यह सबसे अधिक मीठा होता है। इसका अधिक उत्पादन भी इसमें योगदान देता है, जो किसानों के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है।

खेती के लिए सिंगल नॉट तकनीक का उपयोग करें

कृषि विशेषज्ञ के अनुसार, सिंगल नॉट तकनीक से खेती करने पर किसानों को इस गन्ने से और भी अधिक लाभ मिल सकता है। गन्ने के पौधों की खेती सिंगल नॉट विधि से की जाती है, जिसमें एक ही गांठ से प्रत्येक पौधे को उगाया जाता है। इससे पौधे बेहतर तरीके से बढ़ते हैं और उत्पादकता बढ़ती है। इस तकनीक से लागत कम होने के साथ ही गन्ने की पैदावार बढ़ती है, जिससे किसान अधिक पैसा कमा सकते हैं।

राजेंद्र गन्ना 5 की विशेषताओं को देखते हुए अनुमान है कि समस्तीपुर क्षेत्र के किसान इस किस्म का उपयोग करके अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकेंगे। यह किस्म भविष्य में किसानों के लिए महत्वपूर्ण फसल बन सकती है और समस्तीपुर की गन्ना खेती को नई दिशा दे सकती है। वैज्ञानिक ने पौधों के अलावा खेती करने के इच्छुक किसानों को केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के गन्ना अनुसंधान केंद्र से भी मदद लेने की सलाह दी।

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