Rabi crop cultivation: बम्पर मुनाफे के लिए रबी फसल की खेती से पहले करें ये उपाय
Rabi crop cultivation: किसान अब रबी की फसल के लिए खेत तैयार करने में जी-जान से जुटे हैं, लेकिन उन्हें परेशानी हो रही है। जमीन वाकई सख्त होती जा रही है। ऐसे में रोटावेटर भी काम नहीं कर रहे हैं। एक महीने पहले इस इलाके के किसानों ने धान की कटाई की थी। पत्रकारों ने किसानों और विशेषज्ञों से संपर्क कर पता लगाया कि ऐसा क्यों हो रहा है। रोटावेटर खराब हो गए और जमीन सख्त हो गई। किसानों को रबी की फसल (Rabi crop) तैयार करने में परेशानी हो रही है।
जमीन मुश्किल होती जा रही है।
इस पर रोटावेटर भी फिलहाल काम नहीं कर रहे हैं। किसानों के मुताबिक पहले बैल से हल चलाने पर ही जुताई होती थी, लेकिन इन दिनों बड़े ट्रैक्टर भी काम नहीं कर रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक आने वाले सालों में यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है। इसलिए यह समस्या हो रही है। खेत में यूरिया डालने पर उसमें 46% नाइट्रोजन होती है। साथ ही, इसमें से 54% एग्जॉस्ट मैटीरियल होता है, जो मिट्टी को खराब कर सकता है। साथ ही, खेत की मिट्टी को बढ़ाने के लिए कम जैविक खाद का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे जमीन को नुकसान हो रहा है।
इसके अलावा, सूरज की किरणें सीधे जमीन पर पड़ती हैं।
इससे जमीन की नमी कम हो जाती है। किसान मध्यम मार्ग चुन सकते हैं। कृषि विशेषज्ञ आशीष बोरकर के अनुसार, सीमित जुताई (जीरो टिलेज) या बिना जुताई के ही कार्बन को बचाया जा सकता है। इससे कार्बन में अधिक मात्रा में कार्बन बचता है। फसल जितने अधिक पोषक तत्वों को अवशोषित कर सकती है, उतना ही बेहतर है।
फसल चक्र किसानों के लिए एक और विकल्प है।
खरीफ और रबी के दौरान बालाघाट क्षेत्र में धान की खेती अधिक लोकप्रिय हो रही है। ऐसी स्थिति में मिट्टी पर एक ही तरह की फसल बोने से पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ जाता है। ऐसी परिस्थितियों में किसान चावल की फसल के बाद अपने खेतों में दलहनी फसलें लगाने का फैसला कर सकते हैं। इसके अलावा, नमी बनाए रखने के लिए मल्चिंग का इस्तेमाल किया जा सकता है। खेत को ढकने के लिए धान की पराली का इस्तेमाल करके किसान नमी बचा सकते हैं और अपनी जमीन को समृद्ध बना सकते हैं।