Potato Farming Tips: आलू को झुलसा रोग से बचाने के लिए इस दवा का करें छिड़काव
Potato Farming Tips: भारत में आलू का इस्तेमाल पूरे साल किया जाता है और बाजार में इसकी लगातार मांग बनी रहती है। उत्तराखंड में आलू की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, चाहे मैदानी इलाके हों या पहाड़ी इलाके। ऐसे में किसानों को आलू (Potato) की फसल पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। आलू की फसल में शुरुआती झुलसा रोग का प्रकोप फसल की कम वृद्धि के साथ ही बढ़ जाता है। नतीजतन, किसानों की आलू की फसल बर्बाद हो जाती है। इस रोग के कारण आलू का पौधा जल जाता है और उसकी पत्तियों पर धब्बे उभर आते हैं। इसके कारण आलू की फसल सड़ सकती है।
इसे कैसे पहचाना जा सकता है?
गढ़वाल विश्वविद्यालय के कृषि विशेषज्ञ ईश्वर सिंह ने मीडिया को बताया कि झुलसा रोग (blight disease) की पहचान के लिए पौधे की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। अगर पौधा जला हुआ लगता है या उसकी पत्तियों पर धब्बे दिखाई देते हैं तो यह स्पष्ट है कि आलू की फसल झुलसा रोग से प्रभावित हुई है। अगर आप जल्दी कार्रवाई नहीं करते हैं, तो आपको काफी नुकसान होने का खतरा है।
यह दवा लगाएँ।
ईश्वर सिंह ने बताया कि झुलसा रोग एक संक्रामक बीमारी है। चूंकि यह एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलता है, इसलिए इसका तुरंत उपचार जरूरी है। दो ग्राम मैंगोसेप पाउडर (Mangosep Powder) को एक लीटर पानी में मिलाकर हर पंद्रह दिन में छिड़काव करें, इससे ब्लाइट रोग से बचा जा सकता है। पूरे पौधे को ब्लाइट रोग से बचाने के लिए दवा को पूरे पौधे पर समान रूप से छिड़कना चाहिए।
आलू (Potato) में दवा डालते समय इन बातों का ध्यान रखें।
किसानों को मैंगोसेप का छिड़काव करते समय मास्क पहनना चाहिए। क्योंकि मुंह और नाक से इसमें मौजूद खतरनाक तत्व फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं। इससे व्यक्ति काफी बीमार हो सकता है। दवा का छिड़काव करते समय सावधानी बरतें।
प्राकृतिक तरीका
एक लीटर पानी और दो मिलीग्राम नीम के तेल को मिलाकर जैविक तकनीक का उपयोग करके सप्ताह में एक बार छिड़काव किया जा सकता है। आलू की फसल को ब्लाइट से बचाने के लिए किसान इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। दोनों में से कोई भी तरीका अपनाया जा सकता है।