Potato cultivation: आलू की खेती करने वाले किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं, उद्यान विभाग बीज पर दे रहा है सब्सिडी
Potato cultivation: उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां आलू की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। खास तौर पर लखीमपुर खीरी के किसान कई तरह के आलू उगाते हैं। Potato उगाने के दौरान किसानों को अक्सर बेहतर बीजों की कमी का सामना करना पड़ता है। लेकिन इस बार आलू उगाने वाले किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है।
लखीमपुर खीरी क्षेत्र में आलू की प्रजाति को बढ़ाने और उत्पादन बढ़ाने के लिए उद्यान विभाग बीज उपलब्ध कराएगा। इस बार किसानों को दो अलग-अलग श्रेणियों में बीज मिलेंगे। इसको लेकर किसानों से आवेदन करने को कहा गया है। किसानों को पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर उपलब्धता के हिसाब से बीज मिलेंगे।
Potato का बीज पाने के लिए किसानों को पंजीकरण कराना होगा
उद्यान विभाग की ओर से उन्नत किस्म के आलू के बीज बेचे जाएंगे। उद्यान विभाग का लक्ष्य लखीमपुर जिले में 100 क्विंटल आलू के बीज बेचने का है। आलू के बीजों की बिक्री के लिए चयनित केंद्र बनाए जाएंगे। उद्यान विभाग के अधिकारी मृत्युंजय सिंह के मुताबिक आलू उगाने के इच्छुक किसानों को विभाग से बाजार से सस्ता आलू का बीज मिल सकता है।
उन्होंने बताया कि किसानों को कुफरी बहार और चिप्सोना के बीज मिल रहे हैं। बीज प्राप्त करने के लिए किसानों को उद्यान विभाग की वेबसाइट पर पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण के समय किसानों को अपने आधार कार्ड और जमीन की खसरा खतौनी की फोटोकॉपी की जरूरत होगी। प्राथमिकता के आधार पर किसानों को आलू के बीज वितरित किए जाएंगे।
मैदानी इलाकों के लिए कुफरी बहार सबसे उपयुक्त किस्म है
उद्यान विभाग के अधिकारी मृत्युंजय सिंह के अनुसार, मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, चिप्सोना आलू की खेती के लिए किसानों को सब्सिडी वाले बीज मिलते हैं। प्रति एकड़ 25 से 30 टन चिप्सोना आलू का उत्पादन होता है। चिप्सोना आलू की खेती में किसानों को प्रति बीघा दस से बीस हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं।
उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए सबसे अच्छी आलू की किस्म कुफरी बहार है। इसे तैयार होने में 90 से 100 दिन लगते हैं। बाकी किस्मों को पकने में 120 से 135 दिन लगते हैं। प्रति एकड़ 200 से 250 क्विंटल उत्पादन होता है।