Peanut Cultivation: मूंगफली की खेती के दौरान इन बातों का रखें विशेष ध्यान, होगी अच्छी कमाई
Peanut Cultivation: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में किसान बड़े पैमाने पर मूंगफली की खेती करते हैं और इससे उन्हें लाभ भी होता है. इटावा के किसान (Farmer) मूंगफली से पहले उड़द और मूंग की खेती करते थे. हालांकि, अब किसानों ने अपनी आय बढ़ाने के लिए दोनों फसलों की खेती छोड़कर मूंगफली की खेती शुरू कर दी है. आपको बता दें कि इटावा जिले में आठ विकास खंड हैं. इनमें से चकरनगर विकास खंड को छोड़कर बसरेहर, बढ़पुरा, महेवा, सैफई और जसवंतनगर के किसान बड़े पैमाने पर मूंगफली की खेती करते हैं.
खेती के लिए दोमट मिट्टी का उपयोग
कृषि विभाग के उप निदेशक आरएन सिंह के अनुसार, मीडिया रिपोर्ट की रिपोर्ट के अनुसार, खरीफ और जायद की फसल के दौरान मूंगफली की खेती की जाती है. खरीफ सीजन (Kharif Season) के दौरान मूंगफली उत्पादन के लिए सिर्फ 200 हेक्टेयर का उपयोग किया जाता है. जबकि, जायद में, 12,500 हेक्टेयर या उससे अधिक भूमि पर मूंगफली की खेती की जाती है. एक क्विंटल मूंगफली से किसान को करीब 7,000 रुपये की आय होती है. इसके विपरीत, उत्पादकों का मानना है कि मूंगफली उगाने में बहुत ज़्यादा पैसे की ज़रूरत नहीं होती. इससे किसानों को ज़्यादा फ़ायदा होता है. उप निदेशक आरएन सिंह के अनुसार, मूंगफली दोमट मिट्टी में अच्छी होती है. इस मिट्टी में पैदावार ज़्यादा होती है.
ज़्यादा मुनाफ़ा देने वाली फ़सल
मीडिया रिपोर्ट से बात करने वाले इटावा कृषि विभाग के उप निदेशक आरएन सिंह के अनुसार, कानपुर मंडल के तीन ज़िलों: फर्रुखाबाद, कन्नौज और इटावा में मूंगफली की खेती की जाती है. ख़ास तौर पर इटावा में मूंगफली की खेती का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है. इससे किसान ज़्यादा मुनाफ़ा कमा रहे हैं. कभी मूंग और उड़द जैसी दालों की खेती (Cultivation of Pulses) करने वाले किसानों ने अब मूंगफली की खेती पर ध्यान दिया है. मूंगफली की खेती किसानों को कम लागत में ज़्यादा मुनाफ़ा दे सकती है. सरकार मूंगफली की खेती के लिए बीज मुहैया कराती है और इसे बढ़ावा देती है.