Parwal cultivation: परवल की खेती करने का बना रहे हैं प्लान, तो यहां से लें टिप्स
Parwal cultivation: बिहार के अररिया में किसान समय के साथ नई कृषि तकनीक अपना रहे हैं, क्योंकि वे पारंपरिक खेती के अलावा कई तरह की खेती पर ध्यान दे रहे हैं। ताकि उनकी आय बढ़े। दरअसल, सिर्फ़ फ़सलों पर निर्भर रहने से किसानों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए। पारंपरिक खेती के अलावा, किसान सब्ज़ियाँ उगाने पर भी ध्यान दे रहे हैं। इसमें लौकी, कद्दू, खीरा, झींगा, टमाटर और फूलगोभी शामिल हैं। किसानों को Parwal की खेती काफ़ी फ़ायदेमंद लग सकती है। इसकी बाज़ार में काफ़ी मांग है, इसलिए किसानों को इससे लाखों रुपए का फ़ायदा हो सकता है।
बीज बोते समय पौधों के बीच इतनी दूरी होनी चाहिए
मिट्टी तैयार करने के लिए किसान मोहम्मद आसिन ने पत्रकारों को बताया कि खेत की अच्छी तरह से जुताई करके उसमें कम्पोस्ट या सड़ी हुई गोबर की खाद डालनी चाहिए। इससे मिट्टी ज़्यादा उपजाऊ हो जाती है और Parwal के पौधों को ज़रूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं। बीज बोते समय पौधों के बीच 50 से 60 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए और पंक्तियों के बीच 1.5 से 2 मीटर की दूरी होनी चाहिए।
अररिया जिले के रामपुर गांव के किसान मोहम्मद आसीन ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वे आधे बीघे में परवल उगाते हैं और इस बार परवल के ऊंचे भाव की वजह से उन्हें काफी कमाई हो रही है।
Parwal की सब्जी की कीमत
अररिया इलाके में परवल का भाव अभी 70 से 80 के बीच है। अररिया जिले के किसान मोहम्मद आसीन ने मीडिया से बातचीत में बताया कि कोई भी किसान एक एकड़ जमीन पर परवल की अच्छी खेती करके 5 लाख रुपए तक कमा सकता है।