Papaya Cultivation: पपीते की फसल पर लगने वाले मुख्य रोगों को ऐसे करें खत्म, होगी खूब तगड़ी कमाई
Papaya Cultivation: क्षेत्र में पपीते की खेती खूब होती है। रेड लेडी 786 नामक एक अनोखी पपीते की किस्म को मझौलिया, नरकटियागंज, बगहा 2 और योगापट्टी ब्लॉक (Yogapatti Block) के किसान पेशेवर तरीके से उगाते हैं। हर तरह की सावधानी बरतने के बाद भी कुछ बीमारियाँ इस फल पर हमला कर देती हैं, जिससे पूरी फसल बर्बाद हो जाती है। हमने पेशेवरों से यह जानकारी जुटाई है, ताकि रेड स्पाइडर, स्टेम रॉट और लीफ कर्ल जैसी समस्याओं को उनके स्रोत पर ही खत्म किया जा सके, इससे पहले कि आपका फल भी नुकसान पहुँचाए।
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रेड स्पाइडर से होने वाली बीमारी का प्रबंधन
माधोपुर में कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह के अनुसार, पपीते की फसल के मुख्य कीटों में से एक रेड स्पाइडर (Red Spider) है। अगर यह हमला करता है, तो फसल सख्त, काले फल पैदा करेगी। पत्तियों पर हमले से पीले रंग का फंगस उगता है। इस समस्या का सरल समाधान यह है कि जिन पत्तियों को रेड स्पाइडर ने काटा है, उन्हें हटाकर दूर किसी गड्ढे में दबा दें।
तना सड़न की बीमारी को दूर करें
तना सड़न पपीते की दूसरी फसल की समस्या है। इस बीमारी के कारण पौधे के तने की ऊपरी परत सड़ जाती है और पीली हो जाती है। इस सड़न से पौधे की जड़ें प्रभावित होती हैं। इसके परिणामस्वरूप पौधा सूख जाता है। किसान इस बीमारी से बचने के लिए पपीते के पेड़ के चारों ओर ऐसी व्यवस्था कर सकते हैं, ताकि पानी जमा न हो।
सिंचाई के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पानी के लिए उचित जल निकासी व्यवस्था होनी चाहिए। इस बीमारी से प्रभावित पेड़ों को खेत से बाहर निकालकर जला देना चाहिए। जून, जुलाई और अगस्त के महीनों में कम से कम तीन बार तने पर टॉप्सिन-एम (0.1 प्रतिशत), बोर्डो संयोजन (6:6:50) या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (0.3 प्रतिशत) का छिड़काव करना चाहिए।
लीफ कर्ल वायरस के कारण
लीफ कर्ल रोग एक और स्थिति है जो पपीते के पेड़ों को प्रभावित करती है। सफेद मक्खियाँ इस वायरल बीमारी के संचरण का वाहक हैं। इस बीमारी के कारण पत्तियाँ मुड़ जाती हैं और सिकुड़ (Shrinking) जाती हैं। डॉ. अभिषेक के अनुसार, यह बीमारी 80 प्रतिशत तक फसल को नष्ट कर सकती है। स्वस्थ पौधे लगाना इसके प्रबंधन में पहला कदम है। खेत से दूर खाई में गाड़कर किसी भी बीमार पौधे को उखाड़कर नष्ट कर देना सबसे अच्छा है। सफ़ेद मक्खियों को नियंत्रित करने के लिए एक लीटर पानी में घोल बनाने के बाद एक मिलीलीटर डाइमेथोएट का छिड़काव करना चाहिए।
फल सड़न रोग का उपचार
पपीते के पेड़ कई तरह की बीमारियों के प्रति संवेदनशील होते हैं। इनमें से मुख्य बीमारी कोलेटोट्रीकम ग्लोओस्पोराइड्स (Disease Colletotrichum gloeosporioides) है। इस बीमारी से पीड़ित फलों पर छोटे, गोलाकार, नम धब्बे बनते हैं। वे अंततः विकसित होते हैं और आपस में मिल जाते हैं। वे या तो काले या भूरे हो जाते हैं। यह बीमारी फलों के पकने और पकने के बीच विकसित होती है। इसके परिणामस्वरूप फल पकने से पहले ही गिर जाते हैं। इसके उपचार के लिए आपको प्रति लीटर पानी में 2.0 मिलीग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या 2.5 ग्राम मैन्कोज़ेब का उपयोग करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, अस्वस्थ पौधों को जड़ों सहित उखाड़ने के बाद जला देना चाहिए। अस्वस्थ पौधों को नए पौधों से बदलना उचित नहीं है।