AGRICULTURE

Paddy Cultivation: कम लागत में ऐसे करें धान की रोपाई, होगा बंपर मुनाफा

Paddy Cultivation: जहानाबाद क्षेत्र में 45 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की रोपाई की गई है। हालांकि, नमी की कमी के कारण बुवाई स्थगित कर दी गई है। किसानों ने सिंचाई के लिए बिजली और ईंधन (Electricity and Fuel) का उपयोग करके धान की खेती की है। हालांकि, अनुचित तकनीक अपनाने के कारण उपज में गिरावट आ रही है। इस संबंध में कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशें की गई हैं, ताकि किसानों को खर्च कम करते हुए अपने लाभ मार्जिन को बढ़ाने में मदद मिल सके।

Rice-transplantation. Jpeg

धान उगाने की उचित तकनीक

1. स्वस्थ पौध उगाना: स्वस्थ पौध विकसित (Grow Healthy Seedlings) करना धान की खेती को बेहतर बनाने की दिशा में पहला कदम है। कृषि विज्ञान केंद्र गंधार के फसल वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार कहते हैं कि मजबूत पौध से खेती बेहतर होती है। अपनी उपज बढ़ाने के लिए किसान भाइयों को पौध तैयार करने की उचित विधि सिखानी चाहिए।

2. मिट्टी का उचित उपयोग: धान की खेती के लिए मिट्टी के तीन तत्वों- भौतिक, जैविक और रासायनिक (Physical, Biological and Chemical)- को जानना महत्वपूर्ण है। उचित मात्रा में उपयोग करने पर, वे फसल की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं। अब तक, अधिकांश किसानों ने केवल रासायनिक उर्वरकों का उपयोग किया है, अपेक्षाकृत कम ने जैविक उर्वरकों (Organic Fertilizers) का उपयोग किया है। मिट्टी परीक्षण के परिणामों के आधार पर उर्वरक का प्रयोग किया जाना चाहिए।

3. उचित दूरी रखें: धान की रोपाई करते समय, दो पौधों के बीच उचित दूरी रखना महत्वपूर्ण है। एक दूसरे के बहुत पास लगाए गए पौधों में कलियाँ कम होती हैं और बालियाँ छोटी होती हैं, और उनका उत्पादन प्रभावित होता है। नतीजतन, रोपाई के दौरान, एक सुरक्षित दूरी बनाए रखनी चाहिए और वैज्ञानिक समुदाय (Scientific Community) की सिफारिशों पर ध्यान देना चाहिए।

4. उचित उर्वरक का प्रयोग: एक एकड़ भूमि के लिए, यदि मिट्टी का विश्लेषण नहीं किया गया है, तो 45-50 किलोग्राम डीएपी, 25-30 किलोग्राम पोटाश और 70-75 किलोग्राम यूरिया का उपयोग किया जा सकता है। यूरिया का उपयोग करते समय तीन कदम उठाए जाने चाहिए:

जमीन तैयार होने के दौरान 15% से 20% यूरिया।

धान की रोपाई के 30 दिन बाद 30% यूरिया।

शेष 20-25% यूरिया 60-70 दिनों के बाद।

5. मिट्टी और पर्यावरण का संरक्षण: यूरिया के अत्यधिक उपयोग से पैदावार कम होती है और पारिस्थितिकी तंत्र पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए, उत्पादकता बढ़ाने के लिए अवधारणा के अनुसार उर्वरक डालें और वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करें। सुनिश्चित करें कि उत्पाद मजबूत और उच्च गुणवत्ता (High Quality) वाला हो और मिट्टी स्वस्थ रहे।

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