Opium cultivation: अफीम की खेती करने वाले 2700 किसानों को मिलेगा लाइसेंस
Opium cultivation: कई वर्षों से यह क्षेत्र अफीम उत्पादन का केंद्र माना जाता रहा है। एक बार फिर इस परंपरा को बढ़ावा देने की तैयारी हो रही है। जिला अफीम (Opium) कार्यालय उत्तर प्रदेश के छह जिलों बाराबंकी, लखनऊ, अयोध्या, गाजीपुर, महाराजगंज और मऊ में किसानों को लाइसेंस जारी कर रहा है। पिछले साल करीब 3700 किसानों को अफीम उगाने की अनुमति मिली थी। हालांकि, इस बार 1500 किसानों के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए हैं, क्योंकि वे उत्पादन की जरूरत को पूरा नहीं कर पाए।
नतीजतन, अनुमान है कि इस साल सिर्फ 2700 किसान ही लाइसेंस प्राप्त कर पाएंगे। समय सीमा और ऑनलाइन लाइसेंस प्रक्रिया राजकमल रोड स्थित जिला अफीम कार्यालय से लाइसेंस दिए जा रहे हैं। इस बार ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत लाइसेंस दिए जा रहे हैं। परंपरागत अफीम उगाने वाले किसान अपने पिछले परमिट का नवीनीकरण करा रहे हैं। जो किसान पहले अफीम नहीं उगा पाए थे, उन्हें स्पष्टीकरण देना होगा।
नई खेती तकनीकें
जिला अफीम अधिकारी करुण बिलग्रामी के अनुसार, कॉन्सेंट्रेटेड पोस्ता स्ट्रॉ (CPS) तकनीक का उपयोग करने पर किसानों को नुकसान होने की संभावना कम है। इस तकनीक की बदौलत किसानों को अब अफीम की औसत मात्रा का पता लगाने की परेशानी नहीं उठानी पड़ती। हालांकि, अभी इसकी आवश्यकता नहीं है और किसान अभी भी पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके अफीम उगा सकते हैं।
Opium उत्पादन की अवधि और स्थान
बाराबंकी सहित छह जिलों में अफीम की खेती नवंबर के अंत और दिसंबर के पहले सप्ताह में शुरू होती है। पिछले साल 370 हेक्टेयर में अफीम उगाई गई थी। इस बार करीब 2650 किसानों ने परमिट के लिए आवेदन किया है और लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है।
बाराबंकी और आसपास के इलाकों में अफीम उत्पादन आर्थिक महत्व और कृषि इतिहास दोनों का प्रतिबिंब है। इस बार विभाग का लक्ष्य 2700 किसानों को लाइसेंस देना है, जिससे इस पारंपरिक खेती का दायरा बढ़ेगा।