Okra Farming Tips: गर्मियों में भिंडी के पत्तों को पीला होने से बचाने के लिए अपनाएं ये उपाय
Okra Farming Tips: शाहजहांपुर के किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए गेहूं की कटाई के बाद सब्जी की बागवानी करते हैं। खीरा, ककड़ी, तोरई, लौकी, बैंगन और भिंडी (Cucumber, kachori, luffa, gourd, eggplant and ladyfinger) यहां उगाई जाने वाली मुख्य फसलें हैं। हालांकि, गर्मियों में तापमान में अचानक वृद्धि के परिणामस्वरूप कई तरह की बीमारियां इन सब्जियों को प्रभावित करती हैं। किसानों को पीला मोजेक, पाउडरी फफूंद, फल छेदक और कटवर्म को तुरंत खत्म करना चाहिए, जो विशेष रूप से भिंडी की फसलों के लिए हानिकारक हैं, अन्यथा उन्हें काफी नुकसान होने का खतरा है।

कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में कार्यरत पौध संरक्षण रोग विशेषज्ञ डॉ. नूतन वर्मा के अनुसार भिंडी की फसल किसानों को जल्दी ही अच्छी खासी आमदनी देती है। हालांकि, इससे कई तरह के रोग भी होते हैं, जिनका समय रहते प्रबंधन करना जरूरी है। अगर किसान भिंडी की बीमारी का सफलतापूर्वक प्रबंधन कर लें, तो उन्हें काफी मुनाफा हो सकता है।
पीला मोजेक रोग का कैसे किया जा सकता है प्रबंधन
भिंडी का पीला मोजेक रोग (Yellow Mosaic Disease) सफेद मक्खियों के कारण फैलता है। इसके कारण पत्तियों की नसें पीली हो जाती हैं और अंत में पूरा पौधा-फल सहित-पीला हो जाता है। इससे बचने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 2 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। थाइमेथेट 2 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर 15 दिन बाद दोबारा छिड़काव करें। इससे बीमारी पर नियंत्रण रहेगा।
छिड़काव के बाद करें ये उपाय
पौध संरक्षण रोग (Plant Protection Diseases) विशेषज्ञ डॉ. नूतन वर्मा के अनुसार, इन सभी कीटनाशकों के इस्तेमाल के बाद भिंडी की कटाई करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। दवा के प्रभाव को कम करने के लिए कीटनाशक का छिड़काव करने के पांच दिन बाद ही भिंडी तोड़ लें; अन्यथा यह मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है।