Mustard cultivation: कड़कड़ाती ठंड में सरसों में दिखें ये लक्षण, तो तुरंत अपनाएं यह टिप्स
Mustard cultivation: उत्तर प्रदेश में तापमान में तेजी से गिरावट शुरू हो गई है। कई जगहों पर मौजूदा हालातों के चलते तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। बढ़ती शीतलहर से फसलों को नुकसान पहुंच रहा है। आलू और सरसों (Mustard) जैसी कई फसलों पर ठंड का असर पड़ सकता है। चूंकि सरसों रबी सीजन में उगाई जाने वाली प्रमुख तिलहन फसल मानी जाती है, इसलिए इसे उगाने वाले किसान बढ़ती ठंड को लेकर ज्यादा चिंतित हो रहे हैं।
हालांकि, कोहरे और पाले की वजह से इस मौसम में सरसों की फसलों में बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है। साथ ही, कुछ क्षेत्रों में मिट्टी में लवणता की अधिक मात्रा या खारे पानी की वजह से सरसों की फसलों में बीमारी लग सकती है। इसलिए आइए कृषि विशेषज्ञों से जानते हैं कि सरसों की फसलों में कौन-कौन सी बीमारियां लगती हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है।
सरसों (Mustard) की फसल में ठंड जानलेवा हो सकती है।
रायबरेली जिले के शिवगढ़ स्थित राजकीय कृषि केंद्र के प्रभारी अधिकारी शिवशंकर वर्मा (बीएससी एजी डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद) जिन्हें दस साल का कृषि अनुभव है, का दावा है कि सरसों की फसल सर्दियों में तापमान में गिरावट के साथ-साथ लगातार उच्च तापमान, पाला और कोहरे से भी नष्ट हो जाती है। किसानों को ऐसा होने से रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए, ताकि उन्हें कोई नुकसान न हो।
ये बीमारियां संभावित हैं।
शिवशंकर वर्मा ने मीडिया को बताया कि सरसों की फसल अल्टरनेरिया ब्लाइट, व्हाइट रस्ट, ब्लाइट रोग और पाउडरी फफूंद रोग के प्रति बहुत संवेदनशील है।
इससे कैसे बचें
कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर किसानों को कुछ बीमारियों से बचने के लिए कीटनाशकों का इस्तेमाल करना चाहिए। इस तरह की विभिन्न समस्याओं के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
1. अल्टरनेरिया ब्लाइट:
संकेत और लक्षण
पत्तियों, तनों और फलियों पर भूरे-काले रंग के धब्बे जो गोल या अनियमित होते हैं।
धब्बों पर पीले रंग का घेरा होता है।
बीमारी बढ़ने पर पत्तियाँ गिरने लगती हैं।
बचाव:
फसल पर प्रति लीटर पानी में 2.5 ग्राम मैन्कोजेब 75% WP डालें।
फसल के वायु प्रवाह को बनाए रखने के लिए, सही दूरी पर पौधे लगाएँ।
2. सफेद जंग:
संकेत और लक्षण
पत्तियों के नीचे की तरफ सफेद छाले होते हैं।
फलियों और तनों पर सफेद धब्बे।
फूल विकृत और फलियों की वृद्धि में कमी।
बचाव:
मेटालैक्सिल 8% + मैन्कोजेब 64% WP युक्त 2 ग्राम/लीटर पानी डालें।
3. ब्लाइट
संकेत और लक्षण
पत्तियों के ऊपरी हिस्से पर पीले धब्बे होते हैं।
निचली पत्ती की सतह पर फफूंद के निशान जो सफेद-भूरे रंग के होते हैं।
फसल की वृद्धि में कमी के संकेत।
बचाव:
फसल को कोहरे और पाले से बचाने के लिए, इसकी सिंचाई करें।
प्रति लीटर पानी में दो ग्राम एज़ोक्सीस्ट्रोबिन या डाइमेथोमॉर्फ का इस्तेमाल करें।
4. फफूंदी पाउडर
संकेत और लक्षण
पत्तियों और तनों पर सफ़ेद और पाउडर जैसा फफूंद।
पत्तियाँ गिरती हैं और मुरझा जाती हैं।
पौधे खराब हो जाते हैं।
बचाव:
प्रति लीटर पानी में 2-3 ग्राम सल्फर (80% WP) डालें।
जब बीमारी अभी भी अपने शुरुआती चरण में हो, तो फफूंदनाशकों का इस्तेमाल करें।