Mint cultivation: पुदीने की खेती से बम्पर मुनाफा कमा सकते हैं किसान
Mint cultivation: उत्तराखंड के किसानों के लिए जापानी पुदीना (mentha arvensis) एक अनोखी और आकर्षक फसल बन गई है। किसानों के बीच लोकप्रियता हासिल करने के अलावा, यह फसल भारत में जापानी पुदीने के तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गई है। इसकी खासियत यह है कि किसान तीन महीने की फसल (फरवरी से अप्रैल) के बाद ही अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।

जापानी Mint cultivation
एरोमैटिक प्लांट सेंटर (CAP) उत्तराखंड के मैदानी इलाकों, खासकर उधम सिंह नगर और हरिद्वार में जापानी पुदीने की खेती को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है। CAP के निदेशक नृपेंद्र चौहान के अनुसार, अगर दोमट जमीन और पर्याप्त सिंचाई हो, तो इस फसल की खेती आसानी से की जा सकती है। इसके अलावा, जंगली जानवरों से सुरक्षित होने के कारण किसानों को अपनी उपज खोने का खतरा नहीं रहता है।
भारत में जापानी पुदीने के बाजार का विस्तार
भारत में जापानी पुदीने के तेल का बाजार 6,000 करोड़ रुपये का होने का अनुमान है। यह खाद्य उत्पादों, कैंडी और दवाओं में एक घटक है। इसके अलावा, चूंकि यह ठंडक और ताजगी प्रदान करता है, इसलिए इसका उपयोग टूथपेस्ट, हेयर ऑयल और दवाओं में किया जाता है। सीएपी निदेशक नृपेंद्र चौहान के अनुसार, प्रति बीघा दस से बारह हजार रुपये का तेल आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
गेहूं और जापानी पुदीना में दोगुना मुनाफा
सुगंधित पौधा केंद्र ने गेहूं और जापानी पुदीना एक साथ उगाने सहित कई नए कृषि प्रयोग किए हैं। गेहूं की फसल कटने के बाद जापानी पुदीना की फसल तैयार होने तक जमीन खाली छोड़ दी जाती है, जिससे किसानों का मुनाफा बढ़ जाता है। किसानों को यह फसल एक आकर्षक विकल्प लग रही है।
ग्रीष्मकालीन धान की जगह जापानी पुदीना चुनना
सीएपी निदेशक नृपेंद्र चौहान के अनुसार, ऊधमसिंह नगर में अब ग्रीष्मकालीन धान की जगह जापानी पुदीना की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। जापानी पुदीना को धान की तुलना में कम पानी की जरूरत होती है, जबकि धान को बहुत अधिक पानी की जरूरत होती है। ऐसा करके किसान न केवल पानी की बचत करते हैं, बल्कि इस फसल से आर्थिक लाभ भी अधिक होता है। यह न केवल पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि किसानों की भविष्य की आर्थिक सफलता के लिए भी काफी अच्छा साबित हो रहा है।