Karaha yantra: फावड़ा नहीं बल्कि, इस देसी जुगाड़ से किसान मिनटों में बनाएं मेड़
Karaha yantra: भारत हमेशा से ही कृषि प्रधान देश रहा है। आज भी, भारत को आज़ादी मिलने के बाद भी, 55% से ज़्यादा आबादी खेती-बाड़ी करती है। इसी कृषि कार्य के सिलसिले में, आज हम किसानों को एक ऐसे देसी जुगाड़ के बारे में बताएँगे, जिससे वे तीन सेकंड में ढाई फ़ीट की मेड़ बना सकते हैं। इससे किसानों के लिए मेड़ बनाना बहुत आसान हो जाएगा और फावड़े का इस्तेमाल करने की परेशानी भी कम होगी। आइये जानते हैं क्या है कराहा यंत्र, ताकि किसान इस काम को आसानी से कर सकें।
कराहा यंत्र (Karaha yantra) क्या है?
मीडिया से बातचीत में किसान अनिल कुमार मिश्रा ने बताया कि कराहा किसानों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक प्राचीन औज़ार है, जो रस्सी और लकड़ी से बना होता है। दो व्यक्ति इसका इस्तेमाल करके मेड़ बनाते हैं, जिससे किसानों को सिंचाई में आसानी होती है। इससे किसानों का काफ़ी समय बचता है।
यह कैसे काम करता है?
करहा मशीन दो व्यक्तियों द्वारा बनाई जाती है, जिसमें ढाई फुट लंबे प्लेन लकड़ी के टुकड़े पर तीन फुट का हैंडल लगाना, लकड़ी में दो छेद करना, छेदों में रस्सी डालना और रस्सी से हैंडल बांधना शामिल है। इसके बाद, एक व्यक्ति रस्सी के हैंडल को तेजी से खींचता है जबकि दूसरा तीन फुट के हैंडल को पकड़कर जमीन में धकेलता है। इसके परिणामस्वरूप मिट्टी जमा होने लगती है। जब तक खेत की हर मेड़ तैयार नहीं हो जाती, तब तक यह प्रक्रिया जारी रहती है।
पुरानी होने के बावजूद, मशीन का संचालन समकालीन है।
किसान अनिल के अनुसार, करहा मशीन एक क्लासिक और पुराने जमाने का कृषि उपकरण है जो एक सदी से भी अधिक समय से उपयोग में है। यह मेड़ बनाने के लिए स्थानीय स्तर पर बनाया जाने वाला सबसे बेहतरीन और सबसे सस्ता उपकरण है। किसान भाइयों को भी इससे बहुत फायदा होता है, क्योंकि यह काम इतनी जल्दी पूरा हो जाता है कि लोग इसे पसंद करते हैं।