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Guava Cultivation: अमरूद की खेती के लिए अपनाएं ये टिप्स, डाली-डाली पर दिखेंगे फल

Guava Cultivation: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में किसानों को ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation) काफी फायदेमंद लग रही है। क्योंकि सर्दियों में सब्जी की फसल उगाना मुश्किल हो सकता है। इससे बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ जाता है। इन सभी चिंताओं से परेशान फर्रुखाबाद के किसान ने यूट्यूब पर ड्रिप सिंचाई तकनीक सीखने के बाद बाजार से जरूरी उपकरण खरीदकर काम शुरू कर दिया।

Guava cultivation
Guava cultivation

जिले के पानी की कमी वाले इलाकों में यह तरीका काफी कारगर साबित हो रहा है। साथ ही, इस विधि से पौधों को पानी में घुलनशील जैविक खाद भी मिल रही है। किसानों का यह भी दावा है कि इससे फसल की बंपर पैदावार होती है और पानी की बचत होती है।

Guava फलों में बीमारियों से कैसे बचें

फर्रुखाबाद के नारायणपुर गढ़िया के एक किसान का दावा है कि पहले वह भी दूसरे किसानों की तरह खेतों में समतल तरीके से सिंचाई करते थे, जिससे खेत में पानी की अधिकता से नमी बढ़ने के कारण पौधे खराब होने लगते थे। इसके साथ ही फलों और फूलों में बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ गया। नतीजतन, पैदावार पर भी असर पड़ा।

परिणामस्वरूप, किसानों को भूमि से खरपतवारों को मिटाने के लिए महंगे शाकनाशियों का उपयोग करना पड़ता है। परिणामस्वरूप किसानों को अधिक भुगतान करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। जब वही फसल बाजार में बिक्री के लिए पेश की जाती है तो सब्जियों की कीमतें भी कम होती हैं।

ड्रिप सिंचाई तकनीक कैसे काम करती है, इसे समझें

इस ड्रिप सिंचाई तकनीक में फसल की जड़ों तक धीरे-धीरे बूंद-बूंद पानी पहुंचाने के लिए एक छोटे पाइप का उपयोग किया जाता है। भले ही इस ड्रिप तकनीक का इस्तेमाल कई देशों में किया गया है, लेकिन अब जिले के किसान भी इसके बारे में जानते हैं। साथ ही, ड्रिप सिंचाई के कारण मिट्टी पर वाष्पीकरण कम होता है। नतीजतन, बीमारियाँ और पानी की कमी कम होती है।

ड्रिप सिंचाई के लाभों को पहचानें

आधुनिक समय में पारंपरिक सिंचाई की तुलना में ड्रिप सिंचाई कई लाभ प्रदान करती है। इसमें 95% तक कम पानी का उपयोग होता है, जो मिट्टी को अधिक उत्पादक बनाता है और साथ ही उर्वरता भी बढ़ाता है। इससे खेत के खरपतवार भी नियंत्रित होते हैं। कम नमी मिट्टी को स्वस्थ रखती है, जो खेत में फंगस को बढ़ने से रोकती है। यह तकनीक रेतीली खेती के साथ-साथ खड़ी और नमकीन मिट्टी में भी अच्छी तरह से काम करती है।

ये हैं सिंचित फसलें

किसान अपने खेतों में सिर्फ़ केले ही नहीं, बल्कि खीरा, लौकी, खरबूजा, प्याज, कद्दू, गोभी, भिंडी, आलू, मूंगफली, कपास, गन्ना, गुलाब, चमेली, नींबू, संतरा, पपीता और अमरूद भी उगाने के लिए ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल कर रहे हैं।

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