Fruits cultivation: कम लागत में इन फलों की करें खेती, होगी जबरदस्त कमाई
Fruits cultivation: आजकल, ज़्यादातर भारतीय किसान फलों की खेती पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों का दावा है कि पारंपरिक फ़सलों की तुलना में फलों की खेती किसानों के लिए ज़्यादा पैसे ला सकती है। ख़ास तौर पर सेब, अमरूद, पपीता और स्ट्रॉबेरी (Apple, Guava, Papaya and Strawberry) की बात करें तो इन फलों की कुछ खास किस्में बिहार के किसी भी इलाके की मिट्टी में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती हैं।
शांभवी बायोटेक के मालिक और बागवानी के विशेषज्ञ रविकांत पांडे ने मीडिया की टीम को इन फलों को उगाने के बारे में कुछ खास जानकारी दी है। उनके अनुसार, बिहार के किसानों को HRMN 99, अन्ना, ट्रॉपिकल स्वीट और डोरसेट गोल्डन जैसी सेब की प्रजातियों के उत्पादन से काफ़ी फ़ायदा हो सकता है। ताइवानी पपीता प्रजाति और जापानी रेड डायमंड (Red Diamond) अमरूद दोनों ही किसानों को आय का एक विश्वसनीय स्रोत प्रदान कर सकते हैं।
सेब के उत्पादन से अच्छी आय होगी
रविकांत ने मीडिया को बताया कि सघन खेती से एक एकड़ में लगभग 1200 सेब के पेड़ लगाए जा सकते हैं। पौधे लगाने के अगले साल ही फल आने शुरू हो जाते हैं, लेकिन पेड़ों की सेहत के लिए आपको उन्हें काटने की ज़रूरत नहीं है। दूसरे या तीसरे साल के फलों की कटाई की जा सकती है। इस दौरान एक पेड़ से आसानी से पांच किलो फल मिल सकते हैं।इस स्थिति में 1200 पौधों से लगभग 6,000 किलो सेब की फसल प्राप्त होगी। अगर आप इसे 80 रुपये किलो के हिसाब से बेचते हैं तो आप 4 लाख रुपये से अधिक कमा सकते हैं।
अमरूद की खेती के गणितीय पहलू
अमरूद की रेड डायमंड किस्म की खेती से भी अच्छी आय हो सकती है। योगापट्टी जिले का हिस्सा दुलारपट्टी गांव अजय दुबे का घर है, जिन्होंने सफलतापूर्वक बागवानी पूरी की है। उनका दावा है कि महज डेढ़ साल में 80 अमरूद के पेड़ उगाने के बाद उन्होंने करीब डेढ़ लाख रुपये कमाए हैं। विशेषज्ञ रविकांत के अनुसार एक एकड़ में इसके 450 पौधे हो सकते हैं। तीन साल में पौधे बड़े आकार के हो जाएंगे, इसलिए आप साल में तीन बार इसके फल तोड़ पाएंगे। एक पेड़ से हर साल करीब 20 किलो अमरूद मिल सकता है। इस तरह 450 पौधों से करीब 9,000 किलो अमरूद मिलेगा। 60 रुपये किलो बिकने पर भी 5 लाख से ज्यादा की कमाई होगी।
पपीते के उत्पादन से होने वाली आय
ताइवान की पपीते की किस्म रेड लेडी के विकास के साथ ही चंपारण के किसानों की स्थिति में बदलाव आ रहा है। सघन खेती (Intensive farming) से एक एकड़ में 1280 पौधे उगाना संभव है। इसका फायदा यह है कि आप जिस साल भी पौधे लगाएंगे, उसी साल फल भी ले सकते हैं। एक पेड़ से एक बार में 80 से 170 किलो तक फल मिलते हैं। 1280 पौधों से आप 80 किलो की दर से भी 1 लाख किलो से ज्यादा पपीता ले सकते हैं। अगर आप जिस साल भी पेड़ लगाते हैं, उसी साल पपीता तोड़कर 30 रुपये किलो बेचते हैं, तो इस तरह की स्थिति में आप आसानी से 30 लाख रुपये कमा सकते हैं।