Fish farming: मछली पालन से कम लागत में प्रदान करें अच्छी-खासी आय
Fish farming: परंपरागत खेती के अलावा किसान ऐसे उद्यम भी चुन रहे हैं, जो कम लागत में अधिक आय प्रदान करें। मछली पालन इन्हीं उद्योगों में से एक है। दूरदराज के इलाकों में भी मछलियों की बढ़ती कीमतों और मांग के कारण यह व्यवसाय तेजी से फैल रहा है। खेती के अलावा इलाके के कई किसानों ने मछली पालन शुरू कर दिया है, जिससे सालाना हजारों रुपये की आमदनी होती है।
बाराबंकी के किसान सफलता की एक बेहतरीन मिसाल हैं।
बाराबंकी जिले के रसूलपुर गांव के रहने वाले संतोष शुक्ला लंबे समय से मछली पालन कर रहे हैं। इस व्यवसाय से उन्हें सालाना लाखों रुपये की आमदनी होती है। उन्होंने बताया कि वह अपने तालाबों में रोहू, कतला और बेकर समेत स्थानीय मछलियों की प्रजातियां पालते हैं। बाजार में इन मछलियों की काफी मांग है।
संतोष शुक्ला ने बताया कि पहले वह पंगेसियस जैसी मछलियों की प्रजातियां पालते थे, लेकिन खर्च महंगा था और कमाई कम। इसके बाद उन्होंने देशी मछलियां पालना शुरू किया। एक तालाब में करीब 4,000 मछलियां पालने में डेढ़ से दो लाख रुपये का खर्च आता है। हालांकि, उन्हें 4 से 5 लाख रुपये का मुनाफा होता है।
कम लागत में बड़ा मुनाफा
देसी मछलियाँ इस मामले में अनोखी हैं कि उन्हें तैयार होने में 14 से 15 महीने लगते हैं, लेकिन वे काफी सस्ती भी हैं। उन्हें महीने में एक या दो बार धान की पॉलिश और सरसों की खली मिल जाती है, उन्हें अनाज की ज़रूरत नहीं होती। देसी मछली जब बाज़ार में 140 से 150 रुपये प्रति किलोग्राम बिकती है तो किसानों को अच्छा-खासा मुनाफ़ा होता है।
मछली पालन (Fish farming) से किसानों को बहुत फ़ायदा होता है।
पारंपरिक खेती के विपरीत, मछली पालन एक टिकाऊ उद्यम साबित हुआ है और साथ ही किसानों को अपनी आय बढ़ाने का मौक़ा भी देता है। यह अपनी सस्ती लागत और ज़्यादा मुनाफ़े की वजह से किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बन गया है।