Cultivation of Ragi: इस फसल की खेती से किसानों की आय में होगी काफी वृद्धि
Cultivation of Ragi: जल्द ही उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के किसान रागी की खेती करेंगे। मेरठ स्थित चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने रागी पर एक अध्ययन किया है। वहां MCC के छात्र अभिषेक सिंह और शोधकर्ता नेहा चौधरी ने ‘जेनेटिक्स एंड प्लांट प्रोटेक्शन’ विभाग में कार्यरत प्रोफेसर शैलेंद्र सिंह गौरव की देखरेख में रागी की फसल पर फील्डवर्क किया। बेहतर नतीजे देखने को मिले हैं।

प्रोफेसर शैलेंद्र सिंह गौरव ने मीडिया को बताया कि वे छत्तीसगढ़ के जंगलों में पाई जाने वाली रागी की 15 अलग-अलग किस्मों को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय लेकर आए हैं। इनमें से तीन किस्मों को सितंबर में अध्ययन के लिए लगाया गया था। अभिषेक सिंह और नेहा चौधरी इस पर शोध कर रहे हैं।
शोध के क्षेत्र में रागी की फसल फल-फूल रही
प्रोफेसर शैलेंद्र का दावा है कि विश्वविद्यालय के शोध क्षेत्र में इस फसल की खेती की वजह से बेहतर नतीजे देखने को मिल रहे हैं। यहां रागी की फसल फल-फूल रही है। काटे जाने वाले बीजों के हर पहलू पर शोध किया जाएगा ताकि उन्हें किसानों तक आसानी से पहुंचाया जा सके। इस रागी की फसल (Ragi Crop) से किसानों की आय पांच गुना बढ़ सकती है। गेहूं और गन्ने जैसी दूसरी फसलों की तुलना में यह दस गुना ज़्यादा बिकती है।
बीमारी अपने आप हो जाती है गायब
प्रोफ़ेसर गौरव के अनुसार, रागी की फसल में एक बीमारी थी जिसकी वजह से यह दूसरी फसलों की तरह सूख गई थी। लेकिन कुछ दिनों बाद बीमारी अपने आप ठीक हो गई। अब इस पहलू की भी जांच की जाएगी। आखिर इस खास किस्म के रागी में ऐसा क्या खास है कि यह बीमारियों (Diseases) को बिना किसी रसायन के ठीक कर सकता है, जबकि दूसरी फसलों को इसकी ज़रूरत होती है?
सेहत के लिए एक खजाना
एशिया और अफ्रीका में रागी को एक छोटा लेकिन शक्तिशाली अनाज माना जाता है। इसमें ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो बीमारियों के इलाज में मदद करते हैं और आयरन, कैल्शियम और फाइबर (Iron, Calcium and Fiber) की कमी को पूरा करते हैं। नतीजतन, बाज़ार में भी इसकी बहुत ज़रूरत है।