Cultivation of Pulses: UP में यहां होती है दलहन की फसलों की बंपर पैदावार
Cultivation of Pulses: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र क्षेत्र को तिलहन और दलहन (Pulse) फसलों के लिए आदर्श माना जाता है। इस क्षेत्र का शुष्क वातावरण इसे दाल उगाने के लिए आदर्श बनाता है। उत्तर प्रदेश का आखिरी जिला सोनभद्र अब अपने कृषि उत्पादन के कारण सुर्खियों में है। पास का जिला चंदौली जहां “धान का कटोरा” होने के लिए प्रसिद्ध है, वहीं सोनभद्र ने दाल उद्योग में एक अलग नाम स्थापित किया है।
इन क्षेत्रों में दलहन (Pulses) की खेती होती है।
इस क्षेत्र के किसान इस बात से उत्साहित हैं कि इस साल इस क्षेत्र में दलहन फसलों का बड़ा उत्पादन होने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जिला सोनभद्र का अधिकांश हिस्सा पठारी भूमि से घिरा हुआ है। यहां के अधिकांश क्षेत्रों में दलहन (Pulse) फसलों जैसे अरहर, चना, मसूर, मटर, उड़द और केराय की खेती होती है।
इन परिस्थितियों में उच्च उपज दालें बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं, खासकर सीमित सिंचाई संसाधनों और वन क्षेत्रों वाले क्षेत्रों में। इसका मुख्य कारण इन पहाड़ी क्षेत्रों में सिंचाई के लिए पानी की कमी और दालों की खेती की कम लागत है।
किसानों के लिए फ़ायदा
कृषि विशेषज्ञ बाबू लाल मौर्य कहते हैं कि सोनभद्र की ढलानदार ज़मीन की वजह से, वहाँ के किसान मानते हैं कि दालें उगाना गेहूँ उगाने से ज़्यादा फ़ायदेमंद है। चूँकि दलहनी फसलों को अपेक्षाकृत कम उर्वरक की ज़रूरत होती है, इसलिए वे गेहूँ से पहले उपलब्ध होती हैं और बहुत कम खर्चीली भी होती हैं। इसके अलावा, जब किसान दालों को उचित मूल्य पर बेचते हैं तो उन्हें आर्थिक लाभ होता है।