Chilli Farming: कम लागत में बंपर पैदावार के लिए किसान मिर्च की इस वैरायटी की करें खेती
Chilli Farming: पारंपरिक फसल उगाने के बजाय, अब ज़्यादातर किसान नकदी फसल उगाने पर ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं। नकदी फसलें इस मायने में अनूठी हैं कि वे जल्दी पैदा हो जाती हैं, कम पैसे में तैयार होती हैं और किसानों को ज़्यादा बाज़ार मूल्य देती हैं। नतीजतन, किसानों को अपना मुनाफ़ा बढ़ाने का मौक़ा मिलता है।
भरतपुर जिले के बयाना क्षेत्र में मिर्च की खेती किसानों के लिए अच्छा मुनाफ़ा लेकर आ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर मिर्च की खेती की जाती है। अपनी मेहनत और तकनीकी विशेषज्ञता की बदौलत, क्षेत्र के किसान मिर्च उगाकर बढ़िया कमाई कर रहे हैं।
जैविक तरीके से मिर्च (Chilli) उगा रहे किसान
भरतपुर के बयाना क्षेत्र में किसान कई तरह की मिर्च उगाते हैं। यहाँ का तापमान और मिट्टी मिर्च उत्पादन के लिए उपयुक्त मानी जाती है, इसलिए यहाँ ईगल मिर्च बड़े पैमाने पर उगाई जाती है। पारंपरिक से आधुनिक कृषि पद्धतियों पर स्विच करके किसान अपनी उपज बढ़ाने में सक्षम हैं। खास बात यह है कि किसान कम रासायनिक खाद और ज़्यादा जैविक खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं। नतीजतन, न सिर्फ़ उत्पादन बढ़ रहा है, बल्कि फसल की गुणवत्ता भी बेहतर हो रही है।
जैविक फसलें ऊँचे दामों पर बिक रही हैं।
किसान बनबारी लाल ने मीडिया को बताया कि जैविक खाद का उपयोग करके मिर्च उगाने के कई फायदे हैं। मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के अलावा, इससे पर्यावरण पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। जैविक तरीके से फसल उगाने से किसानों को बाजार में अनुकूल मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, जैविक वस्तुओं की बढ़ती मांग से किसानों को और अधिक मदद मिलती है। मिर्च की खेती से अब स्थानीय किसानों को दोगुना पैसा मिल रहा है, जिससे यह अत्यधिक लाभदायक व्यवसाय बन गया है।
नई तकनीकों की बदौलत खेती आसान होती जा रही है।
बनबारी लाल के अनुसार, बयाना के किसान अब लागत कम करते हुए उत्पादन बढ़ाने के लिए नए तरीके अपना रहे हैं। अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के अलावा, बयाना क्षेत्र के किसान अन्य किसानों के लिए रोल मॉडल बन रहे हैं। ये किसान जैविक खेती और बेहतर प्रबंधन के माध्यम से तेजी से आत्मनिर्भर बन रहे हैं। यह दर्शाता है कि सही मार्गदर्शन और परिश्रम से भरतपुर के किसान अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि कर रहे हैं।