Chilli Cultivation: इन बातों को ध्यान में रखकर करें मिर्च की खेती, होगी बम्पर कमाई
Chilli Cultivation: चावल और गेहूं के अलावा जिले के किसान सब्जियां (Vegetables) उगाने को प्राथमिकता देते हैं। यहां कुछ किसान वैज्ञानिक तरीके से सब्जियां उगाते हैं, जबकि अन्य अपने दैनिक प्रयोगों के लिए प्रसिद्ध हैं। इस बार कुचायकोट प्रखंड के नटवा गांव के किसान जगदीश सिंह मिर्च उगाने को लेकर सुर्खियों में हैं। यहां किसान अक्सर नवंबर के आसपास खेतों में मिर्च के पौधे लगाते हैं।
हालांकि, नवंबर में जगदीश सिंह के खेत में एक साथ करीब 10,000 किलो मिर्च (Chilli) की फसल तैयार हो रही है। यह पौधा जून में ही लगाया गया था, क्योंकि यह जगह ऊंचाई पर है। तीन दिन के अंतराल पर जब वे इसकी कटाई करते हैं, तो खेत से करीब एक क्विंटल मिर्च निकलती है। व्यापारी इसे 100 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से सीधे खेत से खरीदते हैं।
ऑफ सीजन होने के कारण लागत अभी भी अधिक है।
बिहार में अक्टूबर से नवंबर तक मिर्च (Chilli) की खेती का ऑफ सीजन माना जाता है। यहां के खेतों में अब मिर्च लगाई जा रही है और पुराने पौधे अब मिर्च नहीं दे रहे हैं। ऐसे में आम जनता या सब्जी मंडी के विक्रेता बाहरी मिर्च पर निर्भर रहते हैं। इस समय एक किलो मिर्च की कीमत 100 से 140 रुपये के बीच है। जगदीश सिंह इस ऑफ सीजन में एक बार में एक क्विंटल मिर्च बेच रहे हैं।
मिर्च (Chilli) की खेती करते समय इन दिशा-निर्देशों का पालन करें।
किसान जगदीश सिंह ने पत्रकारों को बताया कि यह ऐसी फसल है जो एक बार लगाने के बाद दो साल तक लगातार उत्पादन देती है। बस इतना करना है कि इसे समय पर काटा जाए। इसकी देखभाल करनी है और समय पर सिंचाई करनी है। साथ ही, कीटों से बचाव के लिए कभी-कभी दवा का छिड़काव भी करना है।
बीज की गुणवत्ता का ध्यान रखना चाहिए।
किसान जगदीश सिंह ने मीडिया को बताया कि खेत की तैयारी से मिर्च के बीज को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने हाइब्रिड बीज के बारे में बीज विक्रेता से सीखा है। इसे जून में उगाया गया था और इस समय मिर्च की फसल निकलनी शुरू हो गई है। इसमें बीज की गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।