Chickpea Cultivation : चने की खेती करने वाले किसान जरूर जानें ये बातें, होगा जबरदस्त मुनाफा
Agriculture : भारत में कई महत्वपूर्ण फसलें उगाई जाती हैं, जिनमें से एक चना भी है। चना एक फलीदार फसल (leguminous crops) है जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में भी मदद करती है, इसलिए अगर आप इसे उगाते हैं, तो आपको निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
चना 10 से 30 डिग्री के बीच के तापमान वाले ठंडे, शुष्क जलवायु (dry climate) में सबसे अच्छा उगता है; यह 6.0 से 7.5 पीएच के साथ अच्छी तरह से सूखा, दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी (loamy or sandy loam soil) पसंद करता है; उत्तर भारत में अक्टूबर से नवंबर तक और दक्षिण भारत (South India) में सितंबर से अक्टूबर तक चना बोया जाता है। उत्पादक मिट्टी की उर्वरता के आधार पर चने की किस्म (Chickpea variety) का चयन कर सकते हैं।
चने की बोआई का सही तरीका (The right way to sow chickpeas)
स्थानीय मिट्टी और जलवायु। चने की कतारें बोई जाती हैं। पंक्तियों के बीच 30-45 सेमी और पौधों के बीच 10-15 सेमी की दूरी बनाए रखें। बीजों को 4-5 सेमी नीचे रोपें।
चने की फसल: समृद्धि का प्रतीक (Chickpea crop: A symbol of prosperity)
खेत में रोपण से पहले, किसानों को प्रति हेक्टेयर दस से पंद्रह टन गोबर की खाद डालनी चाहिए। अंकुरण, फूल आने और फल बनने (Germination, flowering and fruit formation) के दौरान, चने को पानी की आवश्यकता होती है। चने की फसल पर कई तरह के कीट और रोग हमला (Pest and Disease Attack) कर सकते हैं। इसलिए किसानों को इससे बचने के लिए उचित सावधानी बरतनी चाहिए। उन्हें उचित दवाओं का तुरंत छिड़काव करना चाहिए। जब 80-90% फलियाँ पीली (yellow beans) हो जाती हैं और पत्तियाँ गिरने लगती हैं, तो चने की फसल काटने का समय आ जाता है। इस फसल की कटाई हाथ से या मशीन से की जा सकती है।
कीट नियंत्रण में सिंचाई का महत्व (The Importance of Irrigation in Pest Control)
रिपोर्ट के अनुसार, कीटों को पौधों से दूर रखने के लिए फसल की सिंचाई बहुत ज़रूरी है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पहली सिंचाई के 50 से 55 दिन बाद और 100 दिनों के अंदर एक बार और सिंचाई करें।
हरियाली से समृद्धि (Prosperity from greenery)
चने की पैदावार को बढ़ाने के लिए सुझाए गए प्रकारों को रोग मुक्त खेत में बोएँ। रोपण से पहले बीजों पर राइज़ोबियम कल्चर (Rhizobium Culture) डालें। बीजों को पंक्ति-दर-पंक्ति और खाद को डालने की तकनीक से बोएँ। फली छेदक को नियंत्रित करें।