Brinjal cultivation: इस विधि से करें बैंगन की खेती, कम लागत में हो जाएंगे मालामाल
Brinjal cultivation: औरंगाबाद जिले के कई प्रखंडों में सैकड़ों किसान बड़े पैमाने पर सब्जियां उगाते हैं। वहीं कुटुंबा प्रखंड के रिसियाप गांव में दर्जनों किसान नव किरण भंठा जिसे बैगन भी कहते हैं, बड़े पैमाने पर उगाते हैं। कम समय में अधिक मुनाफा होने के कारण किसान इस तरह की खेती में पैसा लगाना पसंद कर रहे हैं। जिले के कुटुंबा प्रखंड के रिसियाप गांव के किसान आशुतोष मिश्रा तीन बीघे में नव किरण भंठा (Brinjal) की खेती कर रहे हैं।
पिछले दस वर्षों से वे परंपरागत तरीके से खेती कर रहे हैं।
इससे उन्हें करीब 50 हजार रुपये का मुनाफा होता था। पानी की समस्या के कारण कभी-कभी उन्हें घाटा भी उठाना पड़ता था। हालांकि, सब्जी उगाने से दोगुना मुनाफा होता है। प्रति एकड़ 60 क्विंटल उपज किसान के अनुसार, नव किरण प्रजाति के इस भंठा (बैंगन) को पकने में करीब 70 से 75 दिन लगते हैं।
इसे अगस्त से सितंबर तक उगाया जाता है।
प्रति एकड़ 60 से 70 क्विंटल बैंगन, जिसे नव किरण भंठा भी कहते हैं, की पैदावार होती है। किसान के अनुसार, इस क्षेत्र की रेतीली मिट्टी में सब्जियों की अच्छी पैदावार होती है। बैंगन की अच्छी पैदावार के लिए किसान को खेत में गोबर की खाद और खाद डालनी चाहिए।
Brinjal से सालाना तीन लाख की कमाई
किसान के अनुसार, इस खास किस्म के बैंगन की बाजार में सबसे ज्यादा मांग है। यहां से सब्जियां खरीदकर बड़ी मात्रा में व्यापारी इलाके के अंदर और बाहर से ले जाते हैं। इस साल यह बैंगन 4,000 रुपये प्रति क्विंटल तक बिका है। इससे किसान को सालाना करीब 3 लाख रुपये का मुनाफा होता है।