TLCV वायरस का अटैक होने से 300 एकड़ की टमाटर (Tomato) की फसल पूरी तरह से चौपट
टमाटर (Tomato) की कीमतों ने इस साल रसोई का बजट बिगाड़ दिया है, वहीं कई टमाटर उत्पादकों ने खूब कमाई भी की है। टमाटर (Tomato) की खेती के एक साल में ही किसानों को लखपति मिल गए, लेकिन सागर जिले के चनौआ क्षेत्र में TLCV वायरस के संक्रमण ने करीब 300 एकड़ फसल बर्बाद कर दी है। अभी इन फसलों में से सिर्फ 20 से 30 फीसदी ही उगाई जा रही है। लाखों खर्च करने वाले किसानों को इस स्थिति में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
टमाटर (Tomato) की खेती के लिए मशहूर
बता दें कि चनौआ क्षेत्र पिछले 50 सालों से टमाटर की खेती के लिए मशहूर है। इलाके में पहाड़ियां और दोमट मिट्टी होने की वजह से यहां बंपर फसल होती है और बुंदेलखंड और दूसरे राज्यों से व्यापारी साल भर यहां टमाटर खरीदने आते हैं। टमाटर (Tomato) की खेती इतनी मशहूर है कि मुख्यमंत्री और मंत्री कई बार यहां केचप प्लांट लगाने की घोषणा कर चुके हैं।
फसलों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
इस बीमारी की वजह से टमाटर के पौधों की पत्तियां छोटी होती जा रही हैं। इसकी वजह से टमाटर (Tomato) का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। चनुवा, परासिया, बछलोन व अन्य क्षेत्रों के किसान तुलसीराम पटेल के अनुसार उन्होंने 20 एकड़ में टमाटर के बीज बोए थे, लेकिन फसल पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है। फसल चार महीने पुरानी है, लेकिन दो महीने बाद जब फल लगने वाले थे, तो उसमें टीएलसीवी वायरस लग गया, जिसे कुकरा रोग के नाम से जाना जाता है।
किसान तुलसीराम पटेल का दावा है कि उन्होंने प्रति एकड़ सवा लाख रुपये खर्च किए हैं, लेकिन बीमारी ने टमाटर की उत्पादकता को प्रभावित किया है, जिससे अब तक प्रति एकड़ चालीस से पचास हजार रुपये ही मिल पाए हैं। टमाटर की फसल खराब होने से बीज और खाद की लागत भी नहीं निकल पाएगी।
पिछले साल भी नुकसान हुआ था।
स्थानीय किसान शर्मन पटेल के अनुसार पिछले साल भी क्षेत्र के किसानों को टमाटर की फसल में नुकसान हुआ था। पिछले साल मावठ गिरने के बाद करीब चार सौ एकड़ फसल झुलस गई थी। बारिश के साथ गिरे पीले एसिड के कारण फसल जल गई थी। इस साल कुकरा रोग से क्षेत्र की करीब 250-250 एकड़ फसल प्रभावित हुई है। कुकरा रोग के कारण फसल प्रभावित हो रही है और टमाटर की गुणवत्ता खराब होने के कारण दाम नहीं मिल पा रहे हैं। दूसरी फसल दो से तीन महीने तक नहीं मिलेगी।