Black Turmeric Farming: इस औषधीय फसल की खेती कर किसान कमा सकते हैं मोटा मुनाफा, जानिए कैसे करें…
Black Turmeric Farming: गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के अमरेली इलाके के किसान अब पारंपरिक खेती से हटकर औषधीय फसलों (Medicinal Crops) की खेती की ओर रुख कर रहे हैं। खास तौर पर काली हल्दी की खेती ने किसानों को आगे बढ़ने का नया रास्ता दिया है। किसान अब अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं, क्योंकि खेती व्यवस्थित तरीके से की जा रही है।

अब तक की सबसे महंगी औषधीय फसल
मानसी वसोया काली हल्दी, जिसे कभी-कभी नरकचूर भी कहा जाता है, एच.आर.जे. चोडवाडिया के अनुसार एक बहुत ही महत्वपूर्ण औषधीय फसल है। इसका वैज्ञानिक नाम करकुमा कैसिया है। इसके कई औषधीय लाभों (Medicinal Benefits) के कारण बाजार में इसकी काफी मांग है। इसकी कीमत 400 से 600 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच हो जाती है।
पौधे की पहचान और संरचना
काली हल्दी के पौधे की ऊंचाई 20 से 30 सेमी के बीच होती है। इसके बड़े, मोटे पत्ते होते हैं, जिन पर एक काली पट्टी होती है। इसके कंदों का अंदरूनी भाग बैंगनी या काला होता है। यही इसके औषधीय गुणों (Medicinal Properties) का मुख्य कारण है, जो इसे अनोखा बनाता है।
यह किस तरह की जलवायु में उगाया जाता है?
इस फसल के लिए आदर्श वातावरण गर्म और आर्द्र माना जाता है। यह 15 से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच के तापमान में सबसे अच्छी तरह से उगता है। इसे मई में या बरसात के मौसम से ठीक पहले बोना सबसे अच्छा होता है।
मिट्टी तैयार करना एक पहला कदम
खेती से पहले, खेत की मिट्टी को अच्छी तरह से जोतना चाहिए। पौधों की तेजी से वृद्धि और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए इसमें वर्मीकम्पोस्ट, नीम खली, ट्राइकोडर्मा और जिप्सम (Vermicompost, Neem Cake, Trichoderma and Gypsum) मिलाया जाता है। जैविक खेती इस पद्धति के साथ पूरी तरह से संगत है।
बुवाई के लिए बीज या कंद का किया जाता है उपयोग
काली हल्दी उगाने के दो तरीके हैं: बीज या कंद से। एक हेक्टेयर खेत में लगभग दो क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत, कंद की बुवाई के लिए 20 क्विंटल कंद की आवश्यकता होती है। रोग निवारक दवा बाविस्टिन से उपचारित करने के बाद ही इन कंदों को खेत में लगाया जाता है।
उत्पादन और आय का गणित
एक पौधे से आम तौर पर दो से तीन किलो ताजे कंद मिलते हैं। एक हेक्टेयर में 1500 पौधे लगाने पर कुल 48 क्विंटल काली हल्दी पैदा होती है। बाजार भाव के हिसाब से किसान एक ही फसल से लाखों रुपए कमा सकते हैं। बाजार में मांग के साथ उछाल है। इन दिनों घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर (Domestic and International Level) पर दवाइयों की मांग लगातार बढ़ रही है। ऐसे में किसानों के लिए काली हल्दी उगाना एक आकर्षक व्यवसाय बनता जा रहा है। इसके अलावा, इसके निर्यात की भी संभावना है, जिससे देश का राजस्व बढ़ सकता है।