Dragon Fruit Farming: इस भारतीय फौजी ने खेती में आजमाई किस्मत, अब विदेशों में भी कर रहा कमाल
Dragon Fruit Farming: क्या आपने कभी सोचा है कि अगर कोई सैनिक पिस्तौल लेकर चलने का आदी हो और सीमा पर तैनात हो और खेतों में सब्ज़ियाँ उगाना (Growing Vegetables) शुरू कर दे, तो कैसा होगा? यह कहानी है दक्षिण कन्नड़ के उजीरे निवासी गोपालकृष्ण कंचोडू की, जिन्होंने अठारह साल तक भारतीय सेना में देश की रक्षा की। जब वे सेवानिवृत्त हुए, तो उन्होंने कमांडो और तोपखाने में अपनी वीरता का प्रदर्शन करने के बाद खेतों में उतरने का फैसला किया। अब उनके प्रयासों का फल मिल रहा है, क्योंकि उनके खेतों में उगाए गए ड्रैगन फ्रूट को भारत और दूसरे देशों में निर्यात किया जा रहा है।

एक सैनिक किसान कैसे बन सकता है?
अधिकांश व्यक्ति सेना छोड़ने के बाद आरामदायक जीवन जीना चाहते हैं, लेकिन गोपालकृष्ण कंचोडू ने एक अलग दृष्टिकोण अपनाया। “जय जवान, जय किसान” उनका आदर्श वाक्य बन गया, और वे खेती में लग गए। उन्होंने नाडा शहर में अपनी एक एकड़ जमीन पर ड्रैगन फ्रूट उगाना (Growing Dragon Fruit) शुरू किया। अध्ययन के माध्यम से खेती की तकनीक सीखने के बाद, उन्होंने धीरे-धीरे बड़े पैमाने पर खेती करना शुरू कर दिया। अपने परिश्रम के परिणामस्वरूप अब उन्हें एक समृद्ध किसान माना जाता है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती की प्रक्रिया क्या है?
गोपालकृष्ण ने अपनी जमीन पर जो 500 खंभे लगाए हैं, उन पर 2,000 पौधे लगाए हैं। प्रत्येक खंभे पर चार पेड़ लगाए गए हैं। उन्होंने खंभों के बीच आठ फीट और पंक्तियों के बीच 10 फीट का अंतर रखा क्योंकि फसल को पर्याप्त धूप और उचित दूरी की आवश्यकता होती है। ड्रैगन फ्रूट को अन्य फसलों के साथ उगाया जा सकता है, जिससे किसानों को अधिक पैसा कमाने में मदद मिल सकती है।
भारतीय किसानों के फल विदेशों में भी पहुँच रहे हैं
आपको यह सुनकर आश्चर्य हो सकता है कि गोपालकृष्ण कंचोडू के खेतों में ड्रैगन फ्रूट की पैदावार होती है, जिसे देश-विदेश दोनों जगह बेचा जाता है। कल्लप्पु और कोच्चि (Kallappu and Kochi) के बाजारों के माध्यम से उनके फल अरब देशों में भेजे जाते हैं। वे हर खंभे को साल में तीन बार खाद देते हैं ताकि उपज को पोषण मिल सके। इसके लिए वे दानेदार गन्ना, करेला और गाय या मुर्गी की खाद को मिलाकर जैविक खाद बनाते हैं। इससे फसल की गुणवत्ता बनी रहती है और अच्छी पैदावार होती है।
ड्रैगन फ्रूट के फायदे और मुनाफा
ड्रैगन फ्रूट के कई उपयोग हैं। इसका इस्तेमाल जूस, कैंडी, हलवा और यहां तक कि डोसा बनाने में किया जाता है। इसके छिलकों का इस्तेमाल डोसा और इडली बनाने में भी किया जाता है। अगर पहले साल 6 लाख रुपये का निवेश किया जाए तो पांच साल में पूरी रकम वापस मिल जाती है और मुनाफा मिलना शुरू हो जाता है।
उत्पादन हर साल बढ़ रहा है
पिछले चार सालों से गोपालकृष्ण कंचोडू ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं। तीसरे साल उन्होंने साढ़े तीन टन और चौथे साल दस टन ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) की पैदावार की। इस साल उनकी फसल 150 से 155 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच बिकी, जबकि पिछले साल 175 रुपये प्रति किलोग्राम थी। नवीन कृषि पद्धतियों और मेहनती खेती के परिणामस्वरूप उनकी उत्पादकता हर साल बढ़ रही है।