Success Story: इस किसान ने नौकरी छोड़ प्राकृतिक खेती से बदली अपनी किस्मत
Success Story: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के नूरपुर ब्लॉक के गटोट गांव के किसान मोहन सिंह प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के जरिए अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के साथ-साथ दूसरे किसानों के लिए भी आदर्श बन गए हैं। आज दूरदर्शी किसान मोहन सिंह प्राकृतिक खेती से सालाना 15 लाख रुपये कमा रहे हैं। उनकी सफलता का श्रेय उनकी मेहनत, लगन और प्राकृतिक खेती के प्रति प्रेम को जाता है।

मोहन सिंह ने विदेश में अपनी नौकरी छोड़कर गांव वापस आकर खेती करने का फैसला किया। वह पहले रसायनों का इस्तेमाल करके खेती करते थे, लेकिन प्राकृतिक खेती के फायदों के बारे में जानने के बाद उन्होंने इसे अपना लिया और अब इससे अच्छी कमाई कर रहे हैं। वह अपनी सब्जियां चंडीगढ़ और दिल्ली जैसे बड़े बाजारों में बेचते हैं, जहां उनके सामान की लगातार मांग रहती है। इस संदर्भ में, कृपया हमें दूरदर्शी किसान मोहन सिंह की आज की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताएं:
खेती शुरू करने का फैसला
दूरदर्शी किसान मोहन सिंह इससे पहले सऊदी अरब और कतर में काम कर चुके हैं। विदेश में रहते हुए उन्होंने देखा कि भारतीय जैविक उत्पादों के लिए एक बड़ा बाजार है, जो बहुत ज़्यादा कीमत पर उपलब्ध हैं। इससे वे प्रेरित हुए और उन्होंने विदेश में अपनी नौकरी छोड़कर वापस अपने गांव में जाने का फ़ैसला किया। गांव में आते ही उन्होंने खेती शुरू कर दी। पहले उन्होंने रासायनिक खेती की, जिसके बेहतरीन नतीजे मिले, लेकिन काफ़ी लागत आई। फिर उन्होंने प्राकृतिक खेती की, जिसे उन्होंने 2018 में अपनाया। प्राकृतिक खेती ने उनके कृषि खर्च को कम करने के अलावा उत्पादन और आय में भी वृद्धि की।
प्राकृतिक खेती की शुरुआत और कठिनाइयाँ
प्राकृतिक खेती के शुरुआती दिनों में प्रगतिशील किसान मोहन सिंह को कई बाधाओं का सामना करना पड़ा। पहले उनके गांव और आस-पास के इलाकों के ज़्यादातर किसान प्राकृतिक खेती के बजाय रासायनिक खेती (Chemical Farming) में ज़्यादा दिलचस्पी रखते थे। मोहन सिंह ने ‘कृषि जागरण’ को बताया कि पहले तो उन्हें भी संदेह था, लेकिन जब उन्होंने खेत में दशपर्णी अर्क और जीवामृत जैसे प्राकृतिक इनपुट का इस्तेमाल किया और इसके अनुकूल परिणाम देखे, तो वे खुश हो गए। उन्होंने देखा कि प्राकृतिक खेती से कीटों और बीमारियों में कमी आई और साथ ही फसल की गुणवत्ता भी बढ़ी।
जैविक खेती के फायदे
प्रगतिशील किसान मोहन सिंह के अनुसार, प्राकृतिक खेती ने उन्हें कई फायदे दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती में फसलों को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए रासायनिक दवाओं की आवश्यकता नहीं होती है। इससे उनकी उपज में वृद्धि हुई है और साथ ही साथ उनका खर्च भी कम हुआ है।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से उत्पादित फल और सब्जियां उच्च गुणवत्ता (high quality vegetables) वाली होती हैं और लंबे समय तक ताजा रहती हैं। इसके अलावा, प्राकृतिक खेती से मिट्टी की उर्वरता में सुधार होता है, जिससे लंबे समय तक उच्च गुणवत्ता वाली फसलें मिलती हैं।
प्राकृतिक खेती से उपज
मोहन सिंह एक दूरदर्शी किसान हैं जो विभिन्न प्रकार की फसलों को उगाने के लिए प्राकृतिक खेती का उपयोग करते हैं। अन्य फसलों के अलावा, उन्होंने खीरे, फ्रेंच बीन्स, गोभी, मटर, टमाटर, मूली, शलजम, धनिया और पालक (Cucumbers, French beans, cabbage, peas, tomatoes, radishes, turnips, coriander and spinach) उगाए हैं। इसके अलावा, उन्होंने प्राकृतिक खेती के तरीकों का उपयोग करके आम और अन्य फसलें उगाना शुरू कर दिया है। मोहन सिंह के अनुसार, प्राकृतिक खेती से उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद मिलते हैं जिनकी बाजार में काफी मांग है।
मार्केटिंग सुविधाओं का लाभ
इसके अलावा, मोहन सिंह किसान उत्पादक संगठन (FPO) के सदस्य हैं, जो सब्जियों सहित उनके माल की मार्केटिंग की सुविधा प्रदान करता है। वह अपने माल को बड़े बाजारों में बेच सकते हैं और एफपीओ का उपयोग करके प्रतिस्पर्धी दरें प्राप्त कर सकते हैं।
प्राकृतिक खेती के उत्पादन और आय में वृद्धि
प्राकृतिक खेती को अपनाकर दूरदर्शी किसान मोहन सिंह ने न केवल अपने कृषि खर्च को कम किया है, बल्कि उत्पादन और आय में भी वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि बीज की लागत सहित, प्राकृतिक खेती में प्रति बीघा केवल 6,000 रुपये का खर्च आता है।
वहीं, रासायनिक खेती बहुत महंगी पड़ती है। मोहन सिंह ने कहा कि पांच बीघा जमीन पर प्राकृतिक खेती करके वह सालाना 15 लाख रुपये का मुनाफा कमाते हैं। वह अपनी सब्जियां चंडीगढ़ और दिल्ली जैसे दो बड़े बाजारों में बेचते हैं।