Pumpkin Cultivation: एक एकड़ में कद्दू की खेती करके बनें करोड़पति, जानिए कैसे…
Pumpkin Cultivation: उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में कृषि और उद्यान विभाग मिलकर किसानों को प्रगतिशील उत्पादक बनाने का काम कर रहे हैं। ऐसे में समय-समय पर किसान चौपाल का आयोजन कर किसानों को उन्नतशील फसलों की अगेती खेती (Early cultivation) के बारे में जानकारी दी जाती है। देश के अधिकांश हिस्सों में कद्दू एक लोकप्रिय सब्जी है और गर्मियों में इसे उगाना अधिक लाभदायक साबित हो रहा है। इस खेती से किसान मालामाल हो रहे हैं, क्योंकि इसमें कम लागत में अधिक मुनाफा होता है।
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जिले के उद्यान विशेषज्ञ सुभाष चंद्र के अनुसार हरदोई की पांचों तहसीलों के किसान सब्जी उगाने को लेकर उत्साहित हैं। इसकी वजह यह है कि उन्हें समय पर सब्जियां अच्छे बाजार भाव पर मिल रही हैं। इन दिनों चौपाल लगाकर किसानों को अगेती सब्जी की फसल के बारे में जागरूक किया जा रहा है। इस बीच कद्दू की खेती सबसे किफायती और मुनाफे (Economical and profitable) वाली फसल साबित हो रही है।
सर्दी खत्म होने तक जमीन तैयार हो जाती है और बीज बो दिए जाते हैं। एक एकड़ जमीन पर करीब 100 कुंतल कद्दू की पैदावार होती है, जिसकी कीमत 5000 रुपये होती है। पहले ब्रेक के दौरान किसान के खर्च को घटाकर कद्दू की सब्जी की खेती किसान की जेब में पैसा डालने लगती है। उचित देखभाल और प्रबंधन से द्विबीजपत्री कद्दू का पौधा खेत को पत्तियों और फलों से ढक देता है।
कद्दू की खेती से करें तगड़ी कमाई
जिले के बागवानी और कृषि विभाग में काम करने वाले दूरदर्शी किसान चंद्र भूषण के अनुसार, कद्दू उगाने के लिए आदर्श मौसम, उपजाऊ मिट्टी और पर्याप्त जल निकासी व्यवस्था वाला स्थान चुनना आवश्यक है। खरपतवार और कीटों के प्रबंधन के लिए रेतीली दोमट या दोमट मिट्टी (sandy loam or loamy soil) की गहरी जुताई करके इसे पूरा किया जाता है। भूमि तैयार होने के दौरान गोमूत्र और गोबर फसल के लिए सबसे कुशल और फायदेमंद होते हैं। काशी हरित और पूसा विश्वास जैसे कई प्रकार के पौधे फल देने वाले उत्पादक पौधे हैं।
पांच से दस दिनों के भीतर, दो से तीन सेंटीमीटर गहराई में लगाए गए बीज अंकुरित होने लगते हैं। आदर्श मौसम के कारण, दिसंबर, जनवरी और फरवरी में लगाए गए बीज प्रभावी रूप से अंकुरित होते हैं। कद्दू के पौधों के लिए क्यारियों के बीच दो फीट की दूरी आदर्श मानी जाती है। ड्रिप सिंचाई तकनीक पौधों की सिंचाई करने का सबसे प्रभावी तरीका है क्योंकि यह उचित अनुपात में उर्वरक और पानी की समय-समय पर आपूर्ति की अनुमति देता है।
एक एकड़ में कितनी उपज होती है?
किसान शैलेंद्र के अनुसार एक एकड़ कद्दू की खेती में करीब पांच हजार रुपए का खर्च आता है। बीज बोने के 90 दिन बाद से ही इस खेती से आमदनी होने लगती है। बाजार में कद्दू के फलों की कीमत हमेशा वाजिब रहती है। एक एकड़ में करीब 100 क्विंटल कद्दू की पैदावार होती है। उचित देखभाल से इसकी पैदावार भी बढ़ सकती है। ऐसी सब्जियों में से एक है कद्दू का फल जो कभी खराब नहीं होती। हरे कद्दू के अलावा पके कद्दू भी वाजिब दामों पर बिकते हैं। इसकी सब्जी सेहतमंद और आसानी से पचने वाली होती है। धार्मिक मान्यताओं (Religious beliefs) के अनुसार इसके कई नामों में से एक नाम सीताफल भी है।