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Success Story: तमिलनाडु के इस प्रगतिशील किसान ने सटीक खेती के माध्यम से अपनी आय में की लाखों की वृद्धि

Success Story: तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले के मोलयानुर गांव के अनुभवी किसान वी. समिकन्नु 42 साल से भी ज़्यादा समय से खेती कर रहे हैं। उनका पालन-पोषण एक किसान परिवार में हुआ और स्कूल खत्म करने के बाद उन्होंने अपने माता-पिता के साथ मिलकर अपनी ज़मीन पर काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने सबसे पहले सब्ज़ियां और कंद (Vegetables and tubers) वाली फ़सलें उगाने पर ध्यान केंद्रित किया, जिन्हें वे स्थानीय स्तर पर कम कीमतों पर बेचते थे। हालाँकि, चूँकि उनके पास बाज़ार की जानकारी तक सीमित पहुँच थी, इसलिए उन्हें अपने अथक प्रयासों के बावजूद अक्सर उचित मुनाफ़ा पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता था।

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प्रिसिज़न फ़ार्मिंग की ओर रुख़ करें

वर्ष 2003 समिकन्नु के कृषि करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। जब उन्होंने Tamilnadu Agricultural University द्वारा विकसित प्रिसिज़न फ़ार्मिंग विधियों का उपयोग करना शुरू किया। कृषि उपज बढ़ाने और संसाधन प्रबंधन को अनुकूलित करने के लिए एक वैज्ञानिक विधि प्रिसिज़न फ़ार्मिंग है, जिसमें तकनीक का उपयोग किया जाता है। समिकन्नु के लिए इसने सब कुछ बदल दिया।

उन्नत जुताई तकनीक, संकर फसल के प्रकार, ड्रिप फ़र्टिगेशन, ज़रूरत के हिसाब से खाद डालना, कटाई के बाद की तकनीक, श्रम में कमी लाने की रणनीति और ग्राहक की पसंद के हिसाब से कृषि उत्पादन कुछ ऐसी महत्वपूर्ण तकनीकें हैं जो उन्होंने सीखी हैं।

परिशुद्ध खेती के प्रभाव

परिशुद्ध खेती ने समिकन्नु की कृषि लाभप्रदता और उत्पादन (Profitability and Production) में उल्लेखनीय वृद्धि की है। वह पहले साल में सिर्फ़ कुछ हज़ार रुपये कमाते थे, लेकिन आज वह पाँच लाख रुपये तक कमा लेते हैं। गतिशील बाज़ार सूचना प्रणाली और TNAU वैज्ञानिकों की सहायता और दिशा इस वित्तीय बदलाव के लिए ज़िम्मेदार हैं।

फ़सल की पैदावार और खेती

प्रभावशाली परिणामों के साथ, समिकन्नु अब अपनी 4.6 एकड़ ज़मीन पर कृषि और बागवानी फ़सलें (Agricultural and Horticultural Crops) उगा रहे हैं। वह कई तरह की बागवानी फ़सलें उगाते हैं, जिनमें सहजन, टैपिओका, तरबूज़, खरबूजा, चिचिंडा, बैंगन और टमाटर शामिल हैं। धान, गेहूँ, गन्ना, केला और बाजरा सहित बाजरा अन्य कृषि फ़सलों में से हैं।

परिशुद्ध खेती की बदौलत फ़सल की पैदावार में काफ़ी वृद्धि हुई है। प्रति एकड़ बारह टन केले (कदली किस्म), सोलह टन सहजन (PKM1 और PAVM किस्म), तेईस टन टैपिओका (MVD1 किस्म), अठारह टन खरबूजा और अट्ठावन टन टमाटर (हाइब्रिड 618 किस्म) का उत्पादन होता है।

सम्मान और मान्यता

समिकान्नू को उनकी उपलब्धियों और योगदान के लिए कई सम्मान मिले। 2023 में, उन्हें जिला करोड़पति किसान नामित किया गया और उन्हें MFOI पुरस्कार मिला। इसके अतिरिक्त, उन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा 5 लाख रुपये का वित्तीय प्रोत्साहन दिया गया। उनकी सफलता उनके साथी किसानों को यह उम्मीद भी देती है कि समकालीन खेती के तरीके अधिक समृद्धि की ओर ले जाएंगे।

खेती के विस्तार के लिए भविष्य के लक्ष्य

समिकान्नू भविष्य में अपने कृषि प्रयासों का विस्तार करना चाहते हैं। उनका इरादा एक अनुबंधित किसान समूह स्थापित करना, सब्जी अनुबंध खेती में शामिल होना, किसानों के लिए दूध की वैन और सीधे बैंक जमा जैसी दैनिक परिवहन (Daily Transportation) सेवाओं की गारंटी देना और अधिक राज्यों को शामिल करने के लिए अपने बाजार की पहुँच को व्यापक बनाना है। उनका मानना ​​है कि ग्राहकों की प्राथमिकताएँ कृषि उत्पादन को निर्धारित करेंगी। इन कार्यों के परिणामस्वरूप उनके समुदाय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

अन्य किसानों के लिए एक नोट

समिकान्नू अन्य किसानों को कृषि विशेषज्ञों द्वारा बनाए गए नए विचारों और प्रौद्योगिकी (Technology) को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उनका मानना ​​है कि किसान इन नवाचारों का उपयोग करके सफल हो सकते हैं और कृषि उद्योग का विस्तार करने में मदद कर सकते हैं।

उनकी कहानी बताती है कि कैसे सटीक खेती लोगों के जीवन को बदल सकती है और कैसे सही संसाधनों और प्रशिक्षण के साथ, पारंपरिक किसान भी समकालीन कृषि में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं।

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