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Success Story: यूपी के इस 45 वर्षीय किसान ने क्विनोआ की खेती और जैविक खेती से कमाए 48 करोड़ रुपये

Success Story: उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के दूरदर्शी किसान 45 वर्षीय प्रदीप कुमार द्विवेदी जैविक खेती करते हैं। उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि उनके पेशेवर प्रक्षेपवक्र (Professional Trajectory) की तरह ही शानदार है, उन्होंने एचबीटीआई, कानपुर से खाद्य विज्ञान में बी.टेक और केमिकल इंजीनियरिंग में एम.टेक की डिग्री हासिल की है। प्रदीप का करियर नवाचार के प्रति दृढ़ समर्पण और स्थिरता के प्रति प्रेम को दर्शाता है। उनके पास खाद्य, फार्मास्यूटिकल्स, रसायन, हर्बल और एफएमसीजी (Food, Pharmaceuticals, Chemicals, Herbal & FMCG) सहित विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास, उत्पाद इंजीनियरिंग, क्यूए, क्यूसी और परियोजना प्रबंधन में 26 वर्षों से अधिक का अनुभव है।

Success story
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व्यवसाय से खेती की ओर संक्रमण

उन्होंने व्यवसाय क्षेत्र में काम करते हुए इतना समय बिताया कि उन्हें वहां अपनी संभावनाओं पर संदेह होने लगा। प्रमुख वैश्विक निगमों के साथ एक प्रतिष्ठित करियर (Distinguished career) के बाद, उन्होंने सवाल करना शुरू कर दिया कि वे इस तरीके से और कितने समय तक काम कर सकते हैं। उन्होंने अंततः 2010 में अपनी नौकरी छोड़ने और जैविक खेती पर ध्यान केंद्रित करने का साहसिक निर्णय लिया। फतेहपुर जिले में, उन्होंने 300 एकड़ भूमि पर खेती और अनुबंध खेती शुरू की। एक ठोस शैक्षणिक और पेशेवर आधार ने इस प्रयास की नींव रखी।

प्रदीप को दक्षिण अमेरिका के एक देश पेरू जाने का अवसर मिला। अपने दौरे के दौरान क्विनोआ की खोज करने के बाद उन्होंने भारतीय किसानों को क्विनोआ बेचने का इरादा किया। उन्होंने फतेहपुर के बहुआ गांव में चार किसानों के साथ क्विनोआ की शुरुआत की, जिससे साबित हुआ कि क्विनोआ उगाना लाभदायक है। ग्राहकों को ढूंढना और किसानों (Finding and Farmers) को मनाना शुरू में एक मुश्किल काम था, लेकिन उनकी दृढ़ता ने उन्हें रंग दिखाया। अब वे छह राज्यों में 40,000 किसानों के साथ सहयोग करते हैं जो अलसी, क्विनोआ, चिया बीज, मूली और मोरिंगा सहित कई तरह की फसलें उगाते हैं।

एक संधारणीय व्यवसाय मॉडल

उनकी प्राथमिक व्यवसाय योजना किसानों को फसल कटाई के बाद प्रसंस्करण, बीज और तकनीकी (Processing, Seeds and Technology) सहायता प्रदान करके उनकी मदद करना है। किसानों से सीधे सामान खरीदकर और खुद बिक्री संभालकर, वे बाजार तक पहुंच के महत्वपूर्ण मुद्दे को संबोधित करते हैं। उनकी सहकारी रणनीति क्लस्टर-आधारित खेती को बढ़ावा देकर सामूहिक सौदेबाजी की शक्ति और दक्षता को बढ़ाती है।

प्रदीप के नवाचारों से किसानों की आय में हुई वृद्धि

कृषि वस्तुओं का मूल्य संवर्धन, जिसने उनके बाजार मूल्य को बहुत बढ़ा दिया है, प्रदीप की आरएंडडी टीम का फोकस है। इंस्टेंट शुगर गन्‍ने का जूस एक नया उत्‍पाद है जिसे उनकी टीम ने बनाया है। इंस्टेंट पाउडर (Instant Powder) से गन्‍ने के जूस को पानी के साथ मिलाना इसे पीने के लिए एक रचनात्मक तरीका है; इससे रसायनों के उपयोग के बिना साल भर इसका सेवन किया जा सकता है।

उन्होंने अपनी फर्म की शुरुआत 5 लाख के सालाना टर्नओवर से की थी और अब यह लगभग 48 करोड़ कमाती है। किसानों की मजदूरी बढ़ाने के शुरुआती कदम के रूप में, उनके प्रयासों से नोएडा में क्विनोआ मिल्क प्लांट की स्थापना हुई है।

सम्मान और मान्यता

प्रदीप की उपलब्धियों में शामिल हैं:

  1. ICAR, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार ने 2016 में सर्वश्रेष्ठ उद्यमी पुरस्कार प्रदान किया।
  2. यूपी सरकार के कृषि मंत्रालय ने 2017 में जैविक खेती के लिए सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार प्रदान किया।
  3. खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय, भारत सरकार ने 2018 में सर्वश्रेष्ठ अभिनव जैविक उत्पाद विनिर्माण पुरस्कार प्रदान किया।
  4. खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय, भारत सरकार ने 2018 में खाद्य सुरक्षा पुरस्कार के रूप में सर्वश्रेष्ठ जैविक नकदी फसल प्रदान की।
  5. 2021 में, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने सर्वश्रेष्ठ जैविक किसान पुरस्कार प्रदान किया।

इसके अतिरिक्त, प्रदीप विभिन्न जड़ी-बूटियों और जैविक खाद्य पदार्थों (organic foods) पर लगभग 155 विश्वव्यापी शोध प्रकाशनों के लेखक हैं। उनकी पुस्तक, ‘फूड सिक्योरिटी इन इंडिया बाय कल्टीवेटिंग क्विनोआ’, एक टिकाऊ फसल के रूप में फसल की क्षमता के बारे में कुछ जानकारी प्रदान करती है।

भविष्य की संभावनाएँ

प्रदीप की किसानों को सलाह हमेशा यही है कि वे बहु-फसल उगाएँ और सार्वजनिक Grow and Public) और निजी क्षेत्र की सहायता प्रणालियों की मदद से धैर्य और उचित तकनीकों का उपयोग करते हुए क्विनोआ और मोरिंगा जैसी उच्च-मांग वाली फ़सलें उगाएँ। संदेश का शेष भाग न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद या एमवीपी के रूप में संदर्भित उत्पादों को विकसित करने और उन्हें बेहतर बनाने पर केंद्रित है।

प्रदीप कुमार द्विवेदी का कॉर्पोरेट पेशेवर से जैविक अग्रणी बनने का सफ़र समर्पण और सरलता (Journey of dedication and simplicity) की कहानी है। हज़ारों किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के अलावा, उनका काम भारत के खाद्य सुरक्षा और टिकाऊ कृषि के व्यापक लक्ष्यों को आगे बढ़ाता है।

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