Potato Farming Tips: कड़ाके की ठंड में ऐसे रखें आलू की फसल का ख्याल
Potato Farming Tips: झारखंड समेत पूरे उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। गिरिडीह में भी 7 डिग्री तापमान कम रहा और सुबह के समय घने कोहरे से फसलों को नुकसान पहुंच सकता है। आलू की फसल पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि ठंड के मौसम में यह कमजोर हो जाती है।
एक ऐसी फसल जिस पर विशेष ध्यान देने और संतुलित पानी देने की जरूरत है, वह है आलू। ठंड और कोहरे के कारण फसल नमी के प्रति संवेदनशील हो जाती है, जिससे कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में किसानों को आलू की फसल को बचाने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए।
आलू (Potato) की फसल में पानी का प्रबंधन कारगर
कृषि विशेषज्ञ डॉ. नवीन कुमार सिन्हा का दावा है कि इस ठंड के मौसम में आलू की फसल को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। अगर फसल नम है तो पांच से सात दिन बाद ही सिंचाई करें। बार-बार पानी देने से फसल में बीमारी और फंगस का खतरा बढ़ जाता है। याद रखें कि फसल कभी सूखती नहीं है। उचित पानी देने से फसल स्वस्थ रह सकती है।
ब्लाईट रोग की रोकथाम और उपचार
ठंड के मौसम में आलू की फसल अक्सर ब्लाईट रोग से प्रभावित होती है। इस बीमारी के लगने पर आलू की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और फसल कमजोर हो जाती है। ब्लाइट बीमारी से बचाव के लिए रिडोमिलगोल्ड दवा (Ridomilgold medicine) का इस्तेमाल करें। दो मिलीलीटर रिडोमिलगोल्ड को एक लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। यह दवा फसल में बीमारी की रोकथाम में सहायक होगी। अगर बीमारी का समय पर इलाज नहीं किया गया तो फसल को काफी नुकसान हो सकता है।
नमी से होने वाली लेट ब्लाइट और फंगल बीमारियों की रोकथाम
ठंड और कोहरे के कारण बढ़ी हुई नमी के कारण फसल में फंगल की समस्या हो सकती है। फंगस से बचने के लिए उचित समय पर दवा का छिड़काव करें। फसल पर पूरा ध्यान दें और लेट ब्लाइट बीमारी से बचाव के लिए नियमित रूप से कीटनाशकों का इस्तेमाल करें।
कृषि विज्ञान केंद्र से सहायता लें।
अगर किसान भाइयों को आलू की फसल में कोई समस्या आ रही है तो वे कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं। वहां आपको बीमारियों के प्रबंधन और फसलों की देखभाल के बारे में विस्तृत जानकारी मिल सकती है।
आलू की फसल की देखभाल के बारे में अतिरिक्त सलाह
पूरी सर्दी में फसल पर कड़ी नज़र रखें।
अगर पत्तियों पर पीले या भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगें तो तुरंत किसी विशेषज्ञ से मिलें।
खेत की सफाई बनाए रखें और बीच-बीच में खरपतवार निकालते रहें।