Chickpea crop: चने की फसल को सुरक्षित बनाए रखने के लिए इस विधि से करें कीट का प्रयोग
Chickpea crop: राजनांदगांव जिले में कृषि विभाग ने किसानों को चने की खेती में कीटों से बचाव के लिए कई तरह की जानकारी दी है। कीटों के प्रबंधन के बारे में जानकारी दी गई है। क्षेत्र में कई किसानों ने चना उगाया है। जिसमें कृषि विभाग ने किसानों को कई तरह की दवाइयों का इस्तेमाल करने की सलाह दी है। किसान इन सावधानियों का पालन करके अपनी फसलों को कीटों से बचा सकते हैं। इस मामले में कृषि विभाग ने दिशा-निर्देश दिए हैं।
राजनांदगांव क्षेत्र के किसान रबी की फसल के तौर पर चना उगाते रहे हैं। जिले में कई किसानों ने चना उगाया है। चना उगाते समय कीटों का प्रकोप साफ दिखाई देता है। कृषि विभाग ने इससे बचाव के लिए सुझाव दिए हैं।
राजनांदगांव कृषि विभाग के सहायक निदेशक डॉ. बीरेंद्र अनंत ने मीडिया से बातचीत में बताया कि राजनांदगांव जिले में 33178 हेक्टेयर में चना उगाया गया है। इस कीट में इल्ली दिखाई देने लगती है। इसे फली बोरेक कहते हैं। किसानों को इस पर लगातार नजर रखनी चाहिए।
उपचार के तौर पर नीम का लेप लगाएं।
इस कीट के अंडे फसलों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाते हैं। लगातार चीजों पर नज़र रखें। इससे बचने के लिए नीम पेस्ट, बायोपेस्टीसाइड और कीटनाशक का इस्तेमाल करें। इसे नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। कीटनाशकों की बात करें तो अगर एजा-डायरेक्टिंग पौधे बहुत ज़्यादा विकसित हो जाते हैं तो हमें उन्हें इस्तेमाल करना चाहिए। इसके हमले को रोकने के लिए बेंजोएट, एबा मेक्टिन और दूसरे कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
किसानों ने बड़ी मात्रा में चना (Chickpea) उगाया है।
राजनांदगांव जिले के किसानों ने बहुत ज़्यादा चना उगाया है। 38,000 हेक्टेयर से ज़्यादा क्षेत्र में चना लगाया गया है। कृषि विभाग ने भी चने को शुरुआती अवस्था में कीटों से बचाने के लिए कई तरह की रणनीति बनाई है। समय-समय पर इसकी देखभाल करके कीटों के हमले को रोका जा सकता है।