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Natural Farming: किसान ने गाय के गोबर और मूत्र से बना ये खास घोल, प्राकृतिक खेती से मिली सफलता

Natural Farming: सासाराम के मूल निवासी लालबाबू सिंह एक प्रगतिशील किसान हैं, जिन्होंने सब्जी की उन्नत खेती कर अपनी अलग पहचान बनाई है। जिला कृषि प्रदर्शनी में इस किसान को चार सम्मान दिए गए। मोथा गांव के रहने वाले लालबाबू ने बिक्रमगंज कृषि प्रदर्शनी में अपनी बेहतरीन खेती का हुनर ​​दिखाया। उनकी लगन और समर्पण से जिला कृषि पदाधिकारी समेत अन्य अधिकारी काफी प्रभावित हुए।

Natural Farming
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बीएओ पर्यवेक्षक प्रवीण कुमार के अनुसार लालबाबू सिंह ने प्राकृतिक खेती और एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाकर क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं। उन्होंने आत्मा योजना के तहत प्राप्त प्रशिक्षण का उपयोग कर जैविक खेती को समकालीन विधियों के साथ जोड़कर अपनी उत्पादकता को अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ाया। मेले में किसान की बॉडी, बैगन, गोभी और मिर्च मुख्य आकर्षण रहे। इन सब्जियों के लिए उन्होंने पहला, दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया।

किसान को प्राकृतिक (Natural) खेती से सफलता मिली।

लालबाबू सिंह के अनुसार मेले में बॉडी, फूलगोभी, बैगन और मिर्च समेत अन्य फसलें शामिल थीं। उन्होंने बैंगन और मिर्च के उत्पादन में प्रथम स्थान, बोदी के उत्पादन में दूसरा स्थान और फूलगोभी के उत्पादन में तीसरा स्थान प्राप्त किया। इस उपलब्धि के पीछे प्राकृतिक खेती का अहम योगदान रहा है। उन्होंने बताया कि उन्होंने 2022 में प्राकृतिक खेती शुरू की और बिक्रमगंज स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से इस क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्होंने बैंगन की खेती के लिए जीवामृत और घनजीवामृत का इस्तेमाल किया और बेहतरीन परिणाम मिले।

इसे उन्होंने ही तैयार किया है।

किसान से घनजीवामृत के बारे में जानने के बाद किसान खासे हैरान हैं। पूरे देश के किसान इस बात से हैरान हैं कि यह कितना सरल है। इस तरह से घनजीवामृत और जीवामृत तैयार किया गया। किसान के मुताबिक घनजीवामृत बनाने के लिए 100 किलो गोबर, 10 लीटर गोमूत्र, 2 किलो बेसन और 2 किलो गुड़ को मिलाकर छायादार जगह पर 20 से 25 दिनों तक सूखने दिया गया। इसके बाद इसे खेत में इस्तेमाल किया गया।

दस किलो गोबर, दस लीटर गोमूत्र, दो किलो बेसन, दो किलो गुड़, 200 लीटर पानी और प्राचीन पेड़ों के आस-पास की मिट्टी को मिलाकर जीवामृत बनाया गया, जिसे सिंचाई के पानी के साथ खेत में डाला गया। प्राकृतिक रूप से उगाई गई फसल रोग मुक्त होने के साथ-साथ दिखने में भी अच्छी होती है। इसी वजह से उन्हें बैंगन की खेती के लिए प्रथम पुरस्कार मिला। इसी तरीके को बॉडी, फूलगोभी और मिर्च के लिए सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया।

सब्जियों को उगाने का सबसे अच्छा तरीका ड्रिप सिंचाई है।

लालबाबू सिंह के मुताबिक, इस साल उनकी योजना हर फसल में शीर्ष स्थान हासिल करने की है। उनके मुताबिक, कृषि प्रदर्शनी किसानों और फसलों के प्रयासों को पहचानने का एक बेहतरीन मंच है। साथ ही, उन्होंने कहा कि सब्जियों को उगाने के लिए ड्रिप सिंचाई सबसे कारगर है। साथ ही, उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में वे आलू और चना सहित सभी फसलों को प्राकृतिक तरीकों से उगाएंगे।

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