Red Potato Cultivation: इस किस्म के आलू की खेती करें किसान, बन जाएंगे लखपति
Red Potato Cultivation: भारत में शुगर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसके अलावा लोग आयुर्वेद (sorghum, kodo, kutki) जैसी पारंपरिक पद्धतियों की ओर लौट रहे हैं। इसी तरह बंगाल के पहाड़ों में उगने वाले लाल आलू का चलन बढ़ता जा रहा है। प्रतिस्पर्धी कीमतों के कारण किसान भी इसमें रुचि दिखा रहे हैं।
इस समय सागर, बुंदेलखंड में लाल पहाड़ी आलू (Red Potato) बोए जा रहे हैं। दिसंबर में बुवाई करनी पड़ती है, क्योंकि सर्दी के कारण किसान इस सीजन में आलू की फसल समय पर नहीं लगा पाए हैं। डॉक्टर मधुमेह रोगियों को आलू खाने से मना करते हैं, लेकिन लाल आलू खाने से कोई समस्या नहीं होती। इसका दूसरा नाम शुगर-फ्री आलू है।
इस तरह से करें लाल आलू (Red Potato) की खेती
दूरदर्शी किसान आकाश चौरसिया (9179066275) के अनुसार बंगाल के पहाड़ों में उगने वाले लाल आलू को कंद कहा जाता है। ऊंचे इलाकों में यह कंद खूब फलता-फूलता है। यह मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद है। भारत में शुगर के मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही किसान शुगर की खेती को अपना रहे हैं। अच्छी तरह जुताई करने के बाद प्रति एकड़ 800-1000 किलो इसके बीज, 10 टन गोबर की खाद और बेहतरीन डीकंपोजर डालकर बोया जा सकता है। सिंचाई के लिए ड्रिप या स्प्रिंकलर सिस्टम से खुला पानी दिया जा सकता है।
करीब 100 दिन में यह फसल तैयार हो जाएगी। एक एकड़ लाल आलू की खेती से 80 से 100 क्विंटल पैदावार होती है और बाजार भाव भी अच्छा है, 2.5 से 3 लाख की कमाई होती है। मधुमेह के मरीजों को भी इससे फायदा होता है। बाजार में इसकी मांग काफी है। आम बाजार भी एक ऐसी जगह है, जहां इसे बेचा जा सकता है।
मार्केटिंग के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती
किसान आकाश चौरसिया के मुताबिक, किसानों को अपने उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। पिछले साल बीज तैयार करने के बाद हमने दो एकड़ जमीन पर लाल आलू उगाया था। इस साल हम पांच एकड़ जमीन पर आलू की कई किस्में उगा रहे हैं।