Fish Farming: केवल मछली पालन से सालाना 6 लाख से अधिक मुनाफा कमा रहा है यह किसान
Fish Farming: आधुनिक तकनीक की सहायता से किसान पारंपरिक खेती (Traditional Farming) के अलावा मछली पालन कर हजारों रुपये कमा सकते हैं। पूर्वी चंपारण जिले के पताही प्रखंड के रूपनी गांव के मूल निवासी विनय कुमार पांडेय ने मछली पालन के लिए आदर्श वातावरण, बाजार की मांग और सरकारी पुरस्कारों के बारे में जानने के बाद अपने दोस्त से यह तरीका अपनाया। अब वह एक बेहद समृद्ध किसान हैं, जिन्होंने अपने ज्ञान और अभिनव खेती के तरीकों से अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है।
अकेले मछली पालन (Fish Farming) से किसान विनय कुमार पांडेय को सालाना 6 लाख रुपये से अधिक की आमदनी होती है। पारंपरिक खेती से मछली जलकृषि की ओर रुख किया। विनय कुमार ने मीडिया को बताया कि अन्य किसानों की तरह वह भी पारंपरिक धान और गेहूं (Paddy and wheat) की खेती करते थे। एक करीबी दोस्त की सलाह पर उन्होंने 2017 में मछली पालन शुरू किया। विनय का दावा है कि मछली पालन से उन्हें फायदा होता है क्योंकि इसमें कम मेहनत लगती है और मजदूरी भी सस्ती होती है।
अब करीब 10 एकड़ जमीन पर मछली पालन किया जाता है। खरीदार तालाब पर पहुंचते हैं। विनय कुमार के मुताबिक मछली बेचना ज्यादा चुनौतीपूर्ण नहीं है। मछली तैयार होने पर व्यापारियों को सूचित कर दिया जाता है। मंडी तक आने-जाने की असुविधा को दूर करने के अलावा डीलर खुद तालाब पर जाकर मछलियां निकालते हैं। उनके मुताबिक, पूर्वी चंपारण में जितनी मछलियां खाई जाती हैं, उससे कहीं ज्यादा यहां के किसान पैदा कर सकते हैं। अगर ज्यादा लोग मछली पालन में रुचि लें तो वे अच्छी खासी कमाई भी कर सकते हैं।
मछली (Fish) पालन से सालाना 6 लाख की कमाई
किसान के मुताबिक, मछली पालन से होने वाला मुनाफा पारंपरिक खेती से कहीं ज्यादा है। एक एकड़ मछली पालन से करीब एक से डेढ़ लाख रुपये का मुनाफा होता है। उन्होंने दावा किया कि पहले दस महीने में उन्होंने तालाब से करीब 3 लाख रुपये की मछलियां बेची हैं। इस बार उन्होंने उसी तालाब में 20 हजार मछली के बीज डाले और 6 लाख का मुनाफा कमाया। पिछले दो साल में मछली पालन से 12 लाख रुपये की आमदनी हुई है। किसान के मुताबिक, सरकार मछली पालन को कई तरह से मदद करती है। इसमें बाजार की सुविधा, प्रशिक्षण और फंडिंग शामिल है। सरकार तालाब निर्माण (Pond construction) के लिए सब्सिडी भी देती है, जिससे किसान इस राह पर आगे बढ़ रहे हैं।