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Wheat cultivation: गेहूं की बुवाई के लिए एक्सपर्ट से जानें सही तरीका

Wheat cultivation: नवंबर की आधिकारिक शुरुआत होते ही किसान गेहूं की बुआई की तैयारी में जुट जाते हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, गेहूं की बुआई के लिए सबसे अच्छा समय 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच का होता है। इस दौरान तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जिसे अंकुरण के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।

Wheat cultivation
Wheat cultivation

नवंबर के अंत तक बीज बोने की प्रक्रिया में देरी करने से फसल की पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में, जिन किसानों ने अभी तक गेहूं बोने की प्रक्रिया शुरू नहीं की है, उन्हें पेशेवरों की सलाह पर ध्यान देना चाहिए और तुरंत शुरुआत करनी चाहिए।

Wheat बोते समय सावधानी बरतें।

कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ डॉ. मुकुल कुमार के अनुसार, मीडिया ने कहा कि गेहूं की सफल फसल के लिए उचित मिट्टी का प्रकार, नमी की मात्रा, बीज की गुणवत्ता और रोपण की गहराई सभी महत्वपूर्ण हैं। इन मुद्दों की अनदेखी करने से उत्पादन पर असर पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, दोमट मिट्टी को गेहूं उगाने के लिए आदर्श माना जाता है। इसी तरह, रोपण से पहले मिट्टी का विश्लेषण करना और उसके आवश्यक पोषक तत्वों का निर्धारण करना महत्वपूर्ण है। खेत की नमी की मात्रा पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है। अत्यधिक पानी से ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, जिससे बीज सड़ जाते हैं और अंकुरण में बाधा आती है।

Wheat बोने से पहले इस बात का ध्यान रखें।

अंकुरण के लिए आदर्श तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच माना जाता है। ठंडे तापमान के कारण फसल धीरे-धीरे विकसित होती है।

नमी का संतुलन: कोई जलभराव नहीं होना चाहिए, फिर भी खेत नम होना चाहिए। क्योंकि बहुत अधिक पानी में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं होती है, इसलिए बीज सड़ सकते हैं।

मिट्टी का प्रकार और पीएच: गेहूँ उगाने के लिए दोमट मिट्टी अच्छी होती है और 6.0 से 7.5 का पीएच आदर्श होता है।

बीज की गहराई: उचित अंकुरण सुनिश्चित करने के लिए, बीजों को तीन से पाँच सेंटीमीटर गहराई पर बोना चाहिए, जिसमें प्रत्येक बीज समान गहराई पर हो।

बीज उपचार: बीजों को संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए, उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का उपयोग करें और रोपण से पहले उनका उपचार करें।

मिट्टी की जाँच: फसल के पोषण को बेहतर बनाने के लिए, मिट्टी के फास्फोरस, नाइट्रोजन, जिंक और पोटेशियम के स्तर की जाँच करवाएँ।

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