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Pickle business: कुल्लू की रहने वाली कंचन घर बैठे आचार बनाकर कमाती हैं तगड़ा मुनाफा

Pickle business:  आज ग्रामीण महिलाएं अचार उद्योग में काम कर रही हैं। स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से इन महिलाओं ने घर से ही अचार (Pickle) बनाने की कंपनी शुरू की। स्वयं सहायता संगठन किस तरह से महिलाओं को छोटी-छोटी कंपनियां शुरू करने में मदद करते हैं। कुल्लू की खराहल घाटी की मूल निवासी कंचन के अनुसार स्वयं सहायता संगठन अब महिलाओं को घर पर ही पारंपरिक अचार बनाने में मदद कर रहे हैं।

Pickle business
Pickle business

स्थानीय Pickle महिलाएं बना रही हैं।

यहां की महिलाएं पहाड़ी लिंगड़ी, बिदाना और आड़ू का अचार बनाती हैं। दुकानों में बिकने वाले अचार से अलग यह Pickle सरसों से बनता है और इसमें सिरके का स्वाद नहीं होता। अब जब ये अचार आकर्षक पैकेजिंग के साथ बाजार में बिकने लगे हैं तो महिलाओं के पास पैसे कमाने का मौका है। सरकारी कार्यक्रमों के जरिए मिलता है लाभ कंचन ने प्रेस को बताया कि उन्होंने एनआरएलएम स्वयं सहायता समूह बनाया है।

सभी महिलाओं ने अचार बनाने से शुरुआत की

उनके गोजरा स्वयं सहायता समूह से करीब दस महिलाएं जुड़ी हैं। सभी महिलाओं ने अचार बनाने से शुरुआत की। सरकारी कार्यक्रमों के जरिए उन्हें इस उद्देश्य के लिए कई प्रशिक्षण भी मिले, जिसमें शुद्धता पर जोर देते हुए अचार बनाने और पैकेजिंग करने का तरीका सीखा। इस दौरान सभी महिलाओं ने अचार के उत्पादन और बिक्री को संभव बनाने के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाई। इससे महिलाओं का आत्मविश्वास भी बढ़ा है।

इससे महिलाओं की आय बढ़ी

उन्होंने कहा कि आत्मा की पहल से महिलाएं अब मोटे अनाज के साथ काम कर रही हैं। अचार के अलावा लुप्तप्राय अनाज के बीजों को बाजार में लाने के प्रयास चल रहे हैं। इससे महिलाओं की आय बढ़ी है। उन्होंने कहा कि एनआरएलएम कार्यक्रमों का उपयोग शुरू करने के बाद से ग्रामीण महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। इस आय के परिणामस्वरूप महिलाओं को अपनी जेब पर नियंत्रण रखना भी आसान हो गया है।

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